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मटर का दाना बढ़ाने के लिए फसल पर करें इस दवा का प्रयोग, कब करना है इस्तेमाल डिटेल में जानें

मटर का दाना बढ़ाने के लिए फसल पर करें इस दवा का प्रयोग, कब करना है इस्तेमाल डिटेल में जानें

खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 04 से 05 टन गोबर की खाद मिलाएं. इससे मटर की फसल को फायदा होता है. आप प्रति एकड़ खेत में 50 किलो डीएपी और 25 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग कर सकते हैं. इससे मटर के दानों में तेजी से बढ़ोतरी होगी.

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मटर का दाना बढ़ाने के लिए फसल पर करें इस दवा का प्रयोग मटर का दाना बढ़ाने के लिए फसल पर करें इस दवा का प्रयोग

दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार होती है तो वहीं ये भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में भी सहायक होती है. वहीं दलहनी फसलों में मटर की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन कई बार पोषक तत्वों की कमी होने से पौधों में फलियां नहीं बनती हैं. वहीं पौधों में फलियां बन भी गईं तो उनमें दाने नहीं बन पाते हैं. इससे उत्पादन पर असर पड़ता है. इसलिए किसानों को मटर के बेहतर विकास के लिए उर्वरकों की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में किसानों को फसलों की बेहतर पैदावार के लिए इस दवा का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही जान लें कि कब कर सकते हैं इस दवा का प्रयोग.

शुरुआत में इन दवाओं का करें प्रयोग

खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 04 से 05 टन गोबर की खाद मिलाएं. इससे मटर की फसल को फायदा होता है.
आप प्रति एकड़ खेत में 50 किलो डीएपी और 25 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग कर सकते हैं. खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ खेत में 04 किलोग्राम देहात स्टार्टर का भी प्रयोग कर सकते हैं.

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पौधों में फूल आने के समय ये करें

  • मटर की फसलों के अच्छे विकास के लिए फूल निकलते समय या फलियां बनते समय प्रति एकड़ खेत में 750 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट को 150 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.
  • इसके साथ ही 150 लीटर पानी में 750 ग्राम मोनो पोटैशियम फॉस्फेट का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें. इससे मटर की फसल का उत्पादन बढ़ता है.
  • मटर की फसल में आप प्रति एकड़ खेत में 01 किलोग्राम एनपीके का छिड़काव करें.
  • पौधों में फूल-फलों की संख्या बढ़ाने के लिए 200 लीटर पानी में 12.5 ग्राम जिब्रेलिक एसिड का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें.
  • मटर की फसल पर प्रति एकड़ 400-600 मिलीलीटर इक्कोन एचएस का भी प्रयोग भी लाभदायक साबित हो सकता है.

मटर की खेती के लिए खेत करें तैयार

मटर की बुवाई से पहले खेत की कम से कम दो बार अच्छे से जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. जुताई के समय ही खेत में सड़ी गोबर की खाद मिला दें. वहीं मटर बुवाई पूरे अक्टूबर और कुछ हिस्सों में नवंबर के महीने में भी कर सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में नमी हो और बारिश की संभावना न हो. बुवाई करने के बाद अगर बारिश होती है तो मिट्टी सख्त हो जाती है और पौधे निकलने में दिक्कत होती है. वहीं अगर खेत में पानी जमा हो गया तो बीज सड़ भी सकते हैं.