दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार होती है तो वहीं ये भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में भी सहायक होती है. वहीं दलहनी फसलों में मटर की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन कई बार पोषक तत्वों की कमी होने से पौधों में फलियां नहीं बनती हैं. वहीं पौधों में फलियां बन भी गईं तो उनमें दाने नहीं बन पाते हैं. इससे उत्पादन पर असर पड़ता है. इसलिए किसानों को मटर के बेहतर विकास के लिए उर्वरकों की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में किसानों को फसलों की बेहतर पैदावार के लिए इस दवा का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही जान लें कि कब कर सकते हैं इस दवा का प्रयोग.
खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 04 से 05 टन गोबर की खाद मिलाएं. इससे मटर की फसल को फायदा होता है.
आप प्रति एकड़ खेत में 50 किलो डीएपी और 25 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग कर सकते हैं. खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ खेत में 04 किलोग्राम देहात स्टार्टर का भी प्रयोग कर सकते हैं.
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मटर की बुवाई से पहले खेत की कम से कम दो बार अच्छे से जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. जुताई के समय ही खेत में सड़ी गोबर की खाद मिला दें. वहीं मटर बुवाई पूरे अक्टूबर और कुछ हिस्सों में नवंबर के महीने में भी कर सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में नमी हो और बारिश की संभावना न हो. बुवाई करने के बाद अगर बारिश होती है तो मिट्टी सख्त हो जाती है और पौधे निकलने में दिक्कत होती है. वहीं अगर खेत में पानी जमा हो गया तो बीज सड़ भी सकते हैं.
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