रायसेन जिले के बरेली तहसील में खाद और यूरिया की भारी किल्लत के कारण किसान बेहद परेशान हैं. धान की फसल के लिए ज़रूरी डीएपी और यूरिया उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. रोज़ाना सैकड़ों किसान लंबी कतारों में खड़े होकर खाद का इंतजार कर रहे हैं. स्थिति यह है कि जब भी खाद की एक-दो गाड़ियां आती हैं, तो वो बड़ी मात्रा में कुछ चुनिंदा बड़े किसानों को दे दी जाती हैं, जबकि बाकी किसान खाली हाथ लौट जाते हैं.
एसडीएम संतोष मुद्गल ने दो दिन पहले टोकन सिस्टम लागू किया था ताकि खाद वितरण में पारदर्शिता बनी रहे, लेकिन किसानों का आरोप है कि गोदाम संचालक कमलेश धाकड़ टोकन सिस्टम को नजरअंदाज कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि गोदाम से खाद उन्हीं लोगों को दी जा रही है जो उनके अपने लोग हैं, बाकी किसान भूखे-प्यासे सुबह से शाम तक लाइन में खड़े रह जाते हैं.
खाद न मिलने से परेशान किसानों ने बरेली तहसील पहुंचकर तहसीलदार और नायब तहसीलदार से शिकायत की. उन्होंने कहा कि अगर समय पर खाद नहीं मिली तो धान की पूरी फसल खराब हो जाएगी. बारिश के बाद जैसे-तैसे खेतों में पानी का संतुलन बना है, लेकिन अब खाद न मिलने से फसल की ग्रोथ रुक गई है.
ग्रामीण इलाकों से आए सैकड़ों किसान रोज़ तहसील और सहकारी समिति के चक्कर काट रहे हैं. कई किसानों ने बताया कि वे पिछले तीन दिनों से लगातार लाइन में खड़े हो रहे हैं, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता है. किसानों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि जल्द से जल्द खाद उपलब्ध कराई जाए, ताकि उनकी फसल बच सके.
किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिली, तो ना सिर्फ उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी, बल्कि उनके परिवार की आजीविका पर भी बड़ा संकट आ जाएगा. सरकार और प्रशासन से किसानों ने मांग की है कि खाद वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए ताकि हर किसान को उसका हक मिल सके.
रायसेन जिले में खाद की किल्लत एक गंभीर समस्या बन गई है. प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे, ताकि किसान राहत की सांस ले सकें और उनकी मेहनत से उगाई गई फसल समय पर बढ़ सके. यदि यही हाल रहा, तो धान की पैदावार पर गहरा असर पड़ेगा और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. (राजेश रजक का इनपुट)