
वर्तमान में रबी सीजन की बुवाई तेजी से चल रही है. किसान जोर-शोर से गेहूं और सरसों समेत अन्य फसलों की बुवाई में लगे हुए हैं. ऐसे में आज हम आपको रबी सीजन की दो मुख्य फसलों से जुड़ी अहम जानकारी देने जा रहे हैं. गेहूं और सरसों की बुवाई के मौजूदा सीजन में किसानों के बीच खाद के सही इस्तेमाल को लेकर एक जरूरी जानकारी सामने आई है. अगर आपने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है तो यह जानकारी आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) और कृषि विज्ञान केंद्रों के शोध के हवाले से बताया गया है कि गेहूं की फसल के लिए DAP से बेहतर NPK खाद है.
विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों में ये भ्रांति है कि डीएपी गेहूं के लिए सबसे उपयुक्त खाद है, लेकिन ऐसा नहीं है. इसका मुख्य कारण यह है कि गेहूं की अच्छी उपज, दाने में चमक और प्रतिकूल मौसम, खासकर पाले से बचाव के लिए पोटाश एक बेहद आवश्यक तत्व है, जो DAP में नहीं होता, लेकिन NPK में मौजूद होता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, दिल्ली और अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों के शोध के अनुसार, गेहूं की बुवाई के लिए एनपीके खाद सबसे उपयुक्त है. सरसों की फसल के लिए एसएसपी खाद का प्रयोग करने की सलाह दी गई है. सही खाद का चयन फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने में मदद करता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, गेहूं की की खेती के लिए किसानों को एक हेक्टेयर में तीन बोरी एनपीके खाद का प्रयोग करना चाहिए. इससे गेहूं का दाना बड़ा और चमकदार होगा. साथ ही, प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे पाला पड़ने पर भी फसल सुरक्षित रहेगी. वहीं, इससे ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से कुछ विशेष लाभ नहीं होगा, बल्कि इनपुट लागत में बढ़ोतरी ही होगी.
वहीं, सरसों की फसल के लिए सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) खाद को सबसे बेहतर बताया गया है. विशेषज्ञों ने कहा कि एक हेक्टेयर में दो बोरी एसएसपी खाद का प्रयोग करना चाहिए. सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल करने से सरसों की फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होगी.
किसानों को सही खाद का चयन करने की सलाह दी गई है. एनपीके और एसएसपी खाद का सही मात्रा में इस्तेमाल करने से इन फसलों की उपज बढ़ेगी और गुणवत्ता में सुधार होगा.
एक्सपर्ट्स की ओर से एक हेक्टेयर गेहूं की फसल के लिए तीन बोरी NPK की सिफारिश की गई है. इसी तरह, सरसों की फसल के लिए सल्फर युक्त सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) को सबसे बेहतर बताया गया है, जिसकी दो बोरी प्रति हेक्टेयर उपयोग करने की सलाह दी जाती है.