बीज के क्षेत्र में किसानों को सुविधा देने के लिए सरकार बड़ी पहल करने जा रही है. देश में जैसे खाद के लिए को-ऑपरेटिव चलाया जाता है, बीज के लिए सरकार एक नया को-ऑपरेटिव बनाने जा रही है. इसका नाम भारतीय सहकारी बीज समिति यानी कि BSBS होगा. भारतीय सहकारी बीज समिति इस महीने से अपना काम शूरू कर सकती है. इससे सरकार की कमाई बढ़ेगी और किसानों को अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी. अभी तक बीज के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों का दबदबा है. देश में अभी 40000 करोड़ रुपये के बीज का बाजार है जिस पर अधिकांश कब्जा प्राइवेट कंपनियों का है. सरकारी समिति शुरू होने से सरकार की कमाई बढ़ेगी क्योंकि किसान इन समितियों से भी बीज की खरीदी करेंगे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय कैबिनेट ने कई राज्यों में चलने वाली बीज सहकारी समिति को मंजूरी दी. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय सहकारी बीज समिति BSBS के अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने नेशनल एक्सपोर्ट सोसायटी और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के लिए नेशनल को-ऑपरेटिव सोसायटी की मंजूरी दी है.
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बीज सहकारी समिति का ऑफिस इफको के कॉरपोरेट ऑफिस में होगा. इस समिति का ध्यान देश के 40000 करोड़ के बीज बाजार पर है. एक्सपर्ट का कहना है कि बीज सहकारी समिति की मदद से किसान अपनी फसलों का कुछ हिस्सा बीज के रूप में इस्तेमाल करेंगे. दूसरी ओर भारतीय सहकारी बीज समिति (BSBS) बाजार में अपना काम बढ़ाते हुए प्राइवेट कंपनियों के लिए चुनौती पेश करेगी.
'को-ऑपरेशन' के सचिव ज्ञानेश कुमार कहते हैं, सरकार बीज सहकारी समिति बनाने में मदद करेगी, लेकिन उसका सीधा कोई रोल या कोई शेयरहोल्डिंग नहीं होगा. अच्छी बात ये है कि सहकारी बीज समिति में देश के सभी 63,000 पैक्स यानी कि प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी को शामिल किया जाएगा. सभी पैक्स बीज बेचने का काम करेंगी. भारतीय बीज सहकारी समिति यानी कि BSBS की 500 करोड़ की पूंजी होगी. इसी पूंजी के साथ बीएसबीएस का काम शुरू होगा.
इस काम में इफको बड़ी मदद करेगा क्योंकि उसका नेटवर्क बहुत दूर तक फैला है और खाद वितरण का वह काम पहले से करता रहा है. ग्रामीण स्तर पर इफको की हजारों सोसाइटी हैं जिसकी मदद से किसानों तक बीज पहुंचाने में सहायता मिलेगी. बीएसबीएस के एक्सपर्ट मेंबर में नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन और आईसीएआर भी शामिल होगा. सरकार ने आईसीएआर से कहा है कि वह बीएसबीएस को शुरुआत में बीज और तकनीकी सहायता देने में मदद करे.
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देश में हर साल 787 लाख कुंटल बीज की जरूरत होती है जबकि संगठित बाजार से 372 कुंटल बीजों की ही बिक्री हो पाती है. इस तरह 415 लाख कुंटल बीज का बाजार इधर-उधर फैला हुआ है जिस पर सरकार की नजर है. 415 लाख कुंटल बीज किसानों की अपनी फसल होती है और ये बीज किसानों के खेत से निकलते हैं. अगर इसी बीज को जरूरतमंद किसानों तक पहुंचा दिया जाए तो खेती-बाड़ी में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, खेत से बचाए गए बीज से अगर किसान खेती करता है तो उसकी पैदावार में 15-20 परसेंट की बढ़ोतरी देखी जाती है. देश की को-ऑपरेटिव सोसायटी में 29 करोड़ किसान मेंबर हैं जो कि सीमांत किसान हैं या गरीब किसानी परिवार से आते हैं. सरकार का ध्यान इन्हीं किसानों पर है जिन्हें कम से कम दाम पर या मुफ्त में बीज देकर उनकी खेती को बढ़ाया जा सके. बीज से जुड़ी और भी कई योजनाएं चलाई जाती हैं जिन्हें भारतीय बीज सहकारी समिति या BSBS के जरिये किसानों तक पहुंचाया जाएगा.