IARI की इस तकनीक से बनाएं 5 तरह की जैविक खाद, यूरिया-डीएपी का बच जाएगा खर्च

IARI की इस तकनीक से बनाएं 5 तरह की जैविक खाद, यूरिया-डीएपी का बच जाएगा खर्च

IARI पूसा ने किसानों के लिए एक बेहतरीन और आसान तकनीक विकसित की है. इस विधि से किसान खेती के कचरे और गोबर का उपयोग करके पांच अलग-अलग तरह की जैविक खाद बना सकते हैं. इस खाद को अपनाने से यूरिया और डीएपी जैसी महंगी रासायनिक खादों पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है. इससे न केवल किसानों के पैसे बचते हैं, बल्कि मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसल की पैदावार भी पहले से ज्यादा और बंपर होती है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Sep 30, 2025,
  • Updated Sep 30, 2025, 2:00 PM IST

आज के दौर में जब रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से हमारी मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है और खेती की लागत आसमान छू रही है, तब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा, नई दिल्ली की बायोमास यूटिलाइजेशन यूनिट ने "विंड्रोव कम्पोस्टिंग" नामक एक ऐसी विधि विकसित की है, जिससे कृषि के कचरे और अन्य सड़ने-गलने वाली चीजों का उपयोग करके बहुत कम समय और लागत में उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद बनाई जा सकती है. यह तकनीक न केवल किसानों की लागत घटा रही है, बल्कि मिट्टी को फिर से जीवंत करने का भी काम कर रही है. IARI पूसा की इस विधि से किसान खेती के कचरे और गोबर का उपयोग करके पांच अलग-अलग तरह की जैविक खाद बना सकते हैं.

विंड्रोव कम्पोस्टिंग तकनीक

विंड्रोव तकनीक जैविक खाद बनाने की एक सरल और वैज्ञानिक विधि है. इस विधि में खेत में बचे हुए फसल अवशेषों, खरपतवार, पत्तियों और गोबर जैसी चीजों को एक जगह इकट्ठा कर उनके ढेर बनाए जाते हैं. इन ढेरों को ही 'विंड्रोव' कहा जाता है. विंड्रोव की ऊंचाई और चौड़ाई लगभग 2 से 2.5 मीटर रखी जाती है, जबकि इसकी लंबाई जगह की उपलब्धता के अनुसार 10 मीटर से लेकर 100 मीटर या उससे भी अधिक हो सकती है. इन ढेरों में जैविक कल्चर मिलाया जाता है और सही मात्रा में नमी बनाए रखी जाती है. समय-समय पर मशीन की सहायता से इन ढेरों को पलटा जाता है, जिससे हवा का संचार होता है और सभी चीजें अच्छी तरह मिल जाती हैं. इस प्रक्रिया से केवल तीन से नौ सप्ताह के भीतर बेहतरीन जैविक खाद बनकर तैयार हो जाती है.

ऐसे बनती है पांच प्रकार की खाद

फसल अवशेष खाद: इसमें धान, गेहूं, सोयाबीन, मक्का, बाजरा आदि किसी एक फसल या कई फसलों के अवशेषों को मिलाकर खाद तैयार की जाती है. यह खेत के कचरे को सर्वोत्तम तरीके से उपयोग करने की विधि है.
फसल अवशेष और गोबर की खाद: यह खाद बनाने का एक बहुत ही प्रचलित तरीका है. इसमें 80% फसल अवशेष जैसे धान, गेहूं, कपास, अरहर के डंठल) को श्रेडर मशीन से 8-10 सेंटीमीटर के छोटे टुकड़ों में काटकर 20 फीसदी ताजा गोबर मिलाया जाता है. गोबर मिलाने से खाद की गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है.
गौशाला की खाद: गौशाला से निकलने वाले गोबर और पशुओं के बचे हुए चारे को मिलाकर इस विधि से आसानी से पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाई जा सकती है.
समृद्ध खाद : यह एक विशेष प्रकार की खाद है. इसे बनाते समय फसल अवशेष और गोबर के मिश्रण में कुछ खास पोषक तत्व अलग से मिलाए जाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर मिट्टी में फास्फोरस की कमी है, तो ढेर में रॉक फास्फेट मिलाकर 'फास्फो-कम्पोस्ट' बनाया जाता है, जो फास्फोरस का एक बेहतरीन जैविक स्रोत है.
पत्तियों की खाद: बाग-बगीचों में पेड़ों की कटाई-छंटाई से निकली पत्तियों और छोटी-मोटी टहनियों का उपयोग करके यह खाद तैयार की जाती है. यह खाद विशेष रूप से नर्सरी, गमलों में लगे पौधों और फूलों के लिए बहुत फायदेमंद होती है.

खाद बनाने का तरीका

विंड्रोव में कचरा और फसल अवशेष डालने के तुरंत बाद पहली पलटाई की जाती है ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह मिल जाए. इसके बाद एक निश्चित समय-सारणी का पालन किया जाता है:
• दूसरी पलटाई: 10 दिन बाद
•तीसरी पलटाई: 25 दिन बाद
• चौथी पलटाई: 40 दिन बाद
•पांचवीं पलटाई: 55 से 60 दिन बाद

यह ध्यान रखना अहम है कि उपयोग किए जा रहे अवशेषों के प्रकार के आधार पर पलटाई की संख्या और समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है. हर पलटाई के बीच में ढेर में नमी का स्तर बनाए रखने के लिए जरूरत के अनुसार पानी का छिड़काव भी किया जाता है.

IARI की तकनीक से घटेगा खाद का खर्च

विंड्रोव तकनीक से बनी जैविक खाद रासायनिक खाद जैसे DAP और यूरिया का एक बेहतरीन और सस्ता विकल्प है. किसान जितना पैसा यूरिया और DAP पर खर्च करते हैं, उससे कहीं कम लागत में यह खाद बनाकर भरपूर फसल ले सकते हैं. इसके फायदे यहीं खत्म नहीं होते हैं. यह खाद मिट्टी को नरम और भुरभुरी बनाती है, जिससे जड़ों का विकास अच्छा होता है. यह लंबे समय तक मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है. यह लवणीय और क्षारीय भूमि को सुधारने में भी प्रभावी है, जबकि DAP जैसी रासायनिक खादें ऐसी भूमि में ठीक से काम नहीं करतीं. जैविक खाद के प्रयोग से उगी फसलें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होती हैं, क्योंकि यह पौधों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है, जिससे कीटनाशकों का प्रयोग कम होता है.

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