Nano Fertilizer: नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा देना चाहती है सरकार, किसान बना रहे इससे दूरी, फिर कैसे खत्‍म होगा संकट 

Nano Fertilizer: नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा देना चाहती है सरकार, किसान बना रहे इससे दूरी, फिर कैसे खत्‍म होगा संकट 

कृषि मंत्रालय भी अब सक्रियता से इस दिशा में काम कर रहा है. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने किसानों और वैज्ञानिकों समेत सभी स्‍टेकहोल्‍डर्स के साथ मीटिंग की है. मीटिंग का मकसद यह समझना है कि क्या नैनो-उर्वरकों को तत्काल विकल्प के रूप में वास्तव में अपनाया जा सकता है. किसानों से उनके अनुभव जानने के लिए जो फीडबैक लिया गया, वह मिलाजुला रहा.

एक बार फिर खाद की किल्लत से किसान परेशानएक बार फिर खाद की किल्लत से किसान परेशान
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 17, 2025,
  • Updated Nov 17, 2025, 12:52 PM IST

खरीफ के सीजने में देशभर के किसानों को उर्वरक संकट का सामना करना पड़ा. देश के लगभगर हर हिस्‍से उर्वरक संकट की खबरें भी आईं. अब जैसे-जैसे रबी सीजन की बुवाई तेज हो रही है, सरकार के बीच पारंपरिक उर्वरकों की सप्‍लाई को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. इस बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार इन चिंताओं को दूर करने के लिए लिक्विड नैनो-उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है. पारंपरिक यानी दानेदार उर्वरकों की बढ़ती मांग और इस साल खेती के रकबे में इजाफे ने सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है.

इस साल बढ़ गई खपत 

अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि नवंबर के पहले हफ्ते में यूरिया की बिक्री 6.18 लाख टन रही, जो पिछले साल की 2.58 लाख टन की तुलना में कहीं ज्‍यादा है. डीएपी की बिक्री 3.49 लाख टन रही (पिछले साल 1.43 लाख टन); एमओपी 0.49 लाख टन (0.27 लाख टन) और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री 3.10 लाख टन (1.60 लाख टन) रही. वहीं 10 नवंबर तक कुल बोए गए क्षेत्रफल में भी 27 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो पिछले साल 102 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार 130 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है.

नई तकनीक में झिझकते किसान 

कृषि मंत्रालय भी अब सक्रियता से इस दिशा में काम कर रहा है. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने किसानों और वैज्ञानिकों समेत सभी स्‍टेकहोल्‍डर्स के साथ मीटिंग की है. मीटिंग का मकसद यह समझना है कि क्या नैनो-उर्वरकों को तत्काल विकल्प के रूप में वास्तव में अपनाया जा सकता है. किसानों से उनके अनुभव जानने के लिए जो फीडबैक लिया गया, वह मिलाजुला रहा. कुछ किसानों ने तो नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के प्रयोग से फायदा होने की बात कही जबकि बाकियों ने इस पर कड़ी आपत्तियां दर्ज कीं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि अमेरिका जैसे देशों में इन उर्वरकों के लिए गजब का उत्‍साह नजर आता है. लेकिन भारत में किसान नई तकनीक अपनाने को लेकर व्यापक रूप से झिझक दिखा रहे हैं.

किसानों को समझाने में जुटी सरकार 

सरकार नैनो उर्वरकों को बढ़ावा देना चाहती है, लेकिन भारत में किसान अभी इनसे दूरी बनाना चाहते हैं. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका समेत कई देशों में नैनो टेक्नोलॉजी अपनाने को लेकर उत्सुकता दिखाई देती है, लेकिन भारत में किसान इस विचार को लेकर सुस्त रुख दिखा रहे हैं. किसानों की झिझक के बीच, उर्वरक सहकारी संस्था IFFCO, जिसने फसल पोषक तत्वों में नैनो टेक्‍नोलॉजी विकसित की है, उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रही है कि वे बुवाई से पहले बीज का उपचार नैनो उर्वरकों से करें.

क्या हैं किसान की समस्‍याएं 

पंजाब के पटियाला जिले के गेहूं किसान लखबीर सिंह ने इस साल 45 एकड़ में गेहूं की बुआई की है. पहली बार उन्होंने 1 एकड़ में ट्रीटेड सीड का इस्तेमाल किया है. सिंह ने बताया कि उन्‍होंने बुआई 5 नवंबर तक पूरी हो गई थी. ट्रायल के तौर पर मैंने सिर्फ 1 एकड़ में ट्रीटेड सीड का प्रयोग किया है. DBW 327 किस्म के बीज को नैनो डीएपी से ट्रीट किया गया है और IFFCO के अधिकारियों ने मुझे यह प्रक्रिया समझाई. सिंह ने कहा कि खेती की लागत बहुत ज्‍यादा है. इसलिए वह पूरे क्षेत्र में जोखिम नहीं लेना चाहते थे. अगर नतीजे बेहतर आए तो वह आगे इसके प्रयोग को बढ़ाने पर विचार करेंगे.

गेहूं के लिए बेहतर नैनो DAP 

सूत्रों के अनुसार गेहूं के बीजों को नैनो डीएपी से ट्रीट करना खेत में सीधे उर्वरक डालने की तुलना में बेहतर विकल्प माना जा रहा है. ट्रीटेड बीज बोने पर फॉस्फेट की एक बार फर्टिगेशन बच जाती है और उत्पादन भी समान रहता है. IFFCO का लक्ष्य है कि चालू वित्त वर्ष में नैनो डीएपी और नैनो यूरिया की बिक्री को बढ़ाकर 3.75–4.5 करोड़ बोतल किया जाए, जो FY25 के 3.64 करोड़ बोतलों से अधिक है. IFFCO के एक अधिकारी के अनुसार, अगर यह लक्ष्य हासिल हो जाता है, तो कंपनी FY 2026–27 में इसे बदल कर 6 करोड़ बोतल (खरीफ में 2.50 करोड़ और रबी में 3.50 करोड़ बोतल) तक बढ़ाने पर विचार कर सकती है.  

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