
देश में खेती-किसानी के अलावा किसानों के लिए पशुपालन कमाई का एक बहुत बड़ा जरिया है. वहीं, पशु चिकित्सकों की मानें तो दुधारू पशुओं को हरा चना खिलाने पर वो अधिक दूध देते हैं क्योंकि हरे चारे में बहुत सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं, जिससे उनकी दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है. अगर आप किसान हैं और साथ में पशुपालन भी करते हैं, तो आपको अपने पशुओं को ज्वार की हरी-हरी घास खिलाना चाहिए. इससे मवेशी पहले के मुकाबले ज्यादा दूध देने लगते हैं. ऐसे में अलग आप भी पशुओं को खिलाने के लिए ज्वार की खेती करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी की सहायता से ज्वार के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
ज्वार की CSH 24 MF किस्म की फसल काफी तेजी से तैयार होती है. ये किस्म करीब 50 से 60 दिनों में पशुओं के चारे के तौर पर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसे सूखे जैसे क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है और बिना कीटनाशक के भी इसकी खेती की जा सकती है. इस किस्म का चारा पशुओं के लिए काफी पौष्टिक होता है.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) पशुपालकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन ज्वार का पोषक तत्वों से भरपूर CSH 24 MF किस्म के बीज बेच रहा है. इसको आप ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज और पौधे भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
अगर आप भी अपने पशुओं के लिए ज्वार की खेती करना चाहते हैं और बीज खरीदना चाहते हैं तो 5 किलो का बैग फिलहाल 28 फीसदी की छूट के साथ 335 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से अपने पशुओं को संतुलित आहार वाला ज्वार का चारा खिला सकते हैं.
ज्वार की बुवाई छिड़काव या सीडड्रिल विधि से ही करें. वहीं, उर्वरक का प्रयोग मिट्टी के परीक्षणों के आधार पर करना चाहिए. सामान्य तौर पर 80-100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि नाइट्रोजन की दो तिहाई मात्रा और फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय खेत में डालना चाहिए. शेष एक-तिहाई नाइट्रोजन की मात्रा के 20 से 25 दिनों के बाद डालें. इससे 50 से 60 दिन में चारा काटने लायक हो जाएगा.