रूस में बनेगा भारत का पहला यूरिया प्लांट, आरसीएफ-एनएफएल और इंडियन पोटाश लिमिटेड करेंगी साझेदारी

रूस में बनेगा भारत का पहला यूरिया प्लांट, आरसीएफ-एनएफएल और इंडियन पोटाश लिमिटेड करेंगी साझेदारी

भारत और रूस के बीच खाद उत्पादन क्षेत्र में नई साझेदारी. परियोजना से यूरिया की स्थायी आपूर्ति और कीमतों में स्थिरता की उम्मीद. चीन ने खाद निर्यात बंद किया, उसके बाद भारत का बड़ा फैसला.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 23, 2025,
  • Updated Oct 23, 2025, 2:44 PM IST

भारत की खाद कंपनियां अब रूस में एक बड़ा कदम उठाने जा रही हैं. राष्ट्र्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) और इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) मिलकर रूस में भारत का पहला यूरिया प्लांट बनाने की तैयारी में हैं.

'इकॉनोमिक टाइम्स' को मिली जानकारी के मुताबिक, इन कंपनियों ने रूसी फर्मों के साथ एक गोपनीयता समझौता (NDA) पर हस्ताक्षर किए हैं और परियोजना की रूपरेखा तैयार करने का काम शुरू हो गया है. यह परियोजना दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से घोषित की जा सकती है.

20 लाख टन से ज्यादा यूरिया उत्पादन

परियोजना के तहत रूस में बनने वाला प्लांट सालाना 20 लाख टन से अधिक यूरिया उत्पादन करेगा. साझेदार अब भूमि आवंटन, प्राकृतिक गैस और अमोनिया की कीमतों, और परिवहन ढांचे पर बातचीत कर रहे हैं.

रूस में प्राकृतिक गैस और अमोनिया के विशाल भंडार हैं, जबकि भारत इन दोनों कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है. यही कारण है कि यह साझेदारी भारत के लिए आपूर्ति सुरक्षा (supply security) और कीमत स्थिरता (price stability) दोनों सुनिश्चित करेगी.

हाल ही में भारत को इस साल खरीफ सीजन में उर्वरक की कमी का सामना करना पड़ा था, जब चीन ने अस्थायी रूप से अपने निर्यात रोक दिए थे. इससे भारत को महंगे दामों पर वैकल्पिक बाजारों से यूरिया खरीदना पड़ा.

खाद सब्सिडी पर 1.92 लाख करोड़ खर्च

वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार ने उर्वरक विभाग के लिए 1.92 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. वहीं, भारत में घरेलू यूरिया उत्पादन FY24 में 310 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, लेकिन फिर भी कच्चे माल की निर्भरता बनी हुई है.

विशेषज्ञों का मानना है कि रूस में यह प्लांट न केवल भारत की खाद सुरक्षा (fertiliser security) को मजबूत करेगा, बल्कि भारत-रूस आर्थिक संबंधों को भी एक नया आयाम देगा.

भारत में खरीफ सीजन से ठीक पहले चीन से रुके निर्यात की वजह से इस बड़े फैसले का विचार बना है. भारत गेहूं उत्पादन में नंबर वन बना है और उसने चीन को पछाड़ा है. रबी सीजन में गेहूं की खेती सबसे प्रमुख होती है, लेकिन चीन की निर्यातबंदी से खाद की किल्लत हो सकती है.

रूस में बनने वाले प्लांट से भविष्य में भारत की खाद जरूरतें आसानी से पूरी होंगी. यूरिया जैसी खाद के लिए भारत में किसानों को कम जूझना होगा. अक्सर देखा जाता है कि रबी और खरीफ सीजन शुरू होने से पहले किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ता है. किसानों को इन परेशानियों से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार रूस के साथ बड़ी साझेदारी करने जा रही है.

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