खाद आयात में 75 फीसद की जबरदस्त बढ़ोतरी, यूरिया शिपमेंट में 138 फीसद उछाल

खाद आयात में 75 फीसद की जबरदस्त बढ़ोतरी, यूरिया शिपमेंट में 138 फीसद उछाल

भारत में उर्वरक आयात में 75% की वृद्धि और यूरिया शिपमेंट में 138% उछाल दर्ज हुआ है. सरकार ने रबी फसलों के लिए उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के कदम उठाए हैं. जानिए पूरी रिपोर्ट.

Advertisement
खाद आयात में 75 फीसद की जबरदस्त बढ़ोतरी, यूरिया शिपमेंट में 138 फीसद उछालखाद के आयात में बढ़त

इस साल के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर 2025-26) में भारत में खाद आयात में भारी उछाल देखा गया है. अच्छी बारिश और रबी फसलों की मजबूत बुआई की उम्मीद में सरकार ने समय रहते यूरिया, डीएपी (DAP) और एनपीके (NPK) जैसे जरूरी उर्वरकों का भंडारण सुनिश्चित किया है. इससे यह साफ है कि सरकार इस बार किसानों को उर्वरक की कमी से बचाना चाहती है.

कुल खाद आयात में 75% की बढ़ोतरी

उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल उर्वरक आयात 75% बढ़कर 11 मिलियन टन (MT) हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह मात्रा काफी कम थी.

यूरिया और डीएपी आयात में सबसे ज्यादा उछाल

  • यूरिया आयात में 138% की जबरदस्त बढ़ोतरी होकर 3.98 MT तक पहुंच गया.
  • डीएपी (DAP) आयात 94% बढ़कर 3.83 MT रहा.
  • एनपीके (NPK) उर्वरकों का आयात 83% बढ़कर 2.02 MT हुआ.
  • वहीं, एमओपी (MOP) यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश का आयात 22% घटकर 1.19 MT रह गया.

सब्सिडी बिल पर बढ़ेगा दबाव

यूरिया और डीएपी की कीमतों में अप्रैल से तेज़ बढ़ोतरी के कारण सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल बढ़ सकता है. इस साल का बजट अनुमान ₹1.67 लाख करोड़ रखा गया था, लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी की संभावना है.

पिछले साल की कमी से सबक

पिछले खरीफ सीजन में यूरिया की कमी से किसान परेशान हुए थे. उस समय देश में 38 MT की मांग के मुकाबले 30.6 MT उत्पादन और 5.7 MT आयात ही हो पाया था, जिससे करीब 2.8 MT की कमी रह गई थी. इस बार सरकार ने पहले से तैयारी कर ली है ताकि रबी फसलों के समय ऐसी स्थिति दोबारा न बने.

विदेशी निर्भरता बरकरार

  • भारत में उर्वरकों के उत्पादन में कई जरूरी कच्चे माल विदेशों से मंगाए जाते हैं.
  • डीएपी की 60% मांग आयात से पूरी होती है.
  • रॉक फॉस्फेट, जो डीएपी निर्माण में जरूरी है, सेनेगल, जॉर्डन, दक्षिण अफ्रीका और मोरक्को से आता है.
  • पोटाश (MOP) के लिए भारत पूरी तरह रूस, इज़राइल, बेलारूस और जॉर्डन जैसे देशों पर निर्भर है.

सस्ती यूरिया की कीमत से बढ़ा गलत इस्तेमाल

भारत में 2012 से यूरिया की खुदरा कीमत ₹242 प्रति 45 किलो बैग तय है, जबकि असली लागत ₹2,600 से ज्यादा है. सरकार यह अंतर सब्सिडी के रूप में देती है. कम कीमत के कारण किसान इसका अत्यधिक उपयोग करने लगे हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा है कि सस्ती यूरिया का कुछ हिस्सा गैर-कृषि कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है, जिससे मांग और बढ़ रही है.

भारत में उर्वरक आयात में इस साल जबरदस्त उछाल सरकार की तैयारियों को दर्शाता है. हालांकि, बढ़ती सब्सिडी और अत्यधिक यूरिया उपयोग जैसी चुनौतियां अब भी बरकरार हैं. संतुलित उर्वरक उपयोग और घरेलू उत्पादन में वृद्धि ही दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें: 

Badri Cow: तैयार हो रही है बद्री गायों की कुंडली, लिखे जाएंगे ये 20 गुण, जानें क्यों
उत्तर भारत में ठंड की दस्तक, देशभर में मौसम ने बदला मिजाज, जानें अपने शहर का हाल

POST A COMMENT