इस साल के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर 2025-26) में भारत में खाद आयात में भारी उछाल देखा गया है. अच्छी बारिश और रबी फसलों की मजबूत बुआई की उम्मीद में सरकार ने समय रहते यूरिया, डीएपी (DAP) और एनपीके (NPK) जैसे जरूरी उर्वरकों का भंडारण सुनिश्चित किया है. इससे यह साफ है कि सरकार इस बार किसानों को उर्वरक की कमी से बचाना चाहती है.
उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल उर्वरक आयात 75% बढ़कर 11 मिलियन टन (MT) हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह मात्रा काफी कम थी.
यूरिया और डीएपी की कीमतों में अप्रैल से तेज़ बढ़ोतरी के कारण सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल बढ़ सकता है. इस साल का बजट अनुमान ₹1.67 लाख करोड़ रखा गया था, लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी की संभावना है.
पिछले खरीफ सीजन में यूरिया की कमी से किसान परेशान हुए थे. उस समय देश में 38 MT की मांग के मुकाबले 30.6 MT उत्पादन और 5.7 MT आयात ही हो पाया था, जिससे करीब 2.8 MT की कमी रह गई थी. इस बार सरकार ने पहले से तैयारी कर ली है ताकि रबी फसलों के समय ऐसी स्थिति दोबारा न बने.
भारत में 2012 से यूरिया की खुदरा कीमत ₹242 प्रति 45 किलो बैग तय है, जबकि असली लागत ₹2,600 से ज्यादा है. सरकार यह अंतर सब्सिडी के रूप में देती है. कम कीमत के कारण किसान इसका अत्यधिक उपयोग करने लगे हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा है कि सस्ती यूरिया का कुछ हिस्सा गैर-कृषि कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है, जिससे मांग और बढ़ रही है.
भारत में उर्वरक आयात में इस साल जबरदस्त उछाल सरकार की तैयारियों को दर्शाता है. हालांकि, बढ़ती सब्सिडी और अत्यधिक यूरिया उपयोग जैसी चुनौतियां अब भी बरकरार हैं. संतुलित उर्वरक उपयोग और घरेलू उत्पादन में वृद्धि ही दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकते हैं.
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