पंजाब ने 2025-26 सीजन के लिए अपने कपास बुवाई लक्ष्य का 78 फीसदी हासिल कर लिया है. इसमें से कुल 1.06 लाख हेक्टेयर भूमि पर नकदी फसल की बुवाई की गई है. कहा जा रहा है कि इसमें उस सब्सिडी की बड़ी भूमिका है जो राज्य सरकार की तरफ से किसानों को मुहैया कराई जाती है. पंजाब कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में कपास की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल पिछले साल के 2.49 लाख एकड़ से बढ़कर इस साल 2025 में 2.98 लाख एकड़ हो गया है. यह एक साल के अंदर 49,000 एकड़ से ज्यादा की वृद्धि को बताता है.
पंजाब सरकार ने इस साल अप्रैल में कपास के बीजों पर 33 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया था. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) की तरफ से प्रस्तावित बीजों पर खास तौर पर किसानों को सब्सिडी मुहैया कराने की कोशिश की गई. सरकार का मकसद था कि किसानों को इस फसल को अपनाने और पानी की अधिक खपत वाली धान की खेती से दूर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
सब्सिडी के जरिये सरकार किसानों पर वित्तीय बोझ को कम करना और उच्च उपज वाली, कीट प्रतिरोधी किस्मों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है. किसान बीज खरीदकर और योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पूरा करके सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. यह सब्सिडी पीएयू की तरफ से मंजूर किए गए बीटी कॉटन के बीज बीज खरीदने वाले किसानों पर ही लागू है.
किसानों को इस योजना के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा. 10 जून, 2025 तक 49,000 से ज्यादा किसान पहले ही रजिस्ट्रेशन पूरा कर चुके हैं. मुख्य कृषि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था कि सभी कपास किसान 15 जून, 2025 तक अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रशन पूरा कर लें. किसान अथॉराइज्ड डीलर्स या फिर दुकानों के जरिये सब्सिडी वाले बीज खरीद सकते हैं. पंजाब कृषि विभाग योजना की सक्रिय तौर पर निगरानी कर रहा है. साथ ही किसानों को क्षेत्र निरीक्षण और कीट एवं रोग प्रबंधन पर मार्गदर्शन सहित सहायता प्रदान कर रहा है.
पंजाब कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में कपास की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल पिछले साल के 2.49 लाख एकड़ से बढ़कर इस साल 2025 में 2.98 लाख एकड़ हो गया है. राज्य में कपास की खेती फाजिल्का, मानसा, बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब में होती है और ये चार जिले कपास की खेती में सबसे आगे हैं.
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