केंद्र सरकार की ओर से खाद और बीज उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बदलाव किया जा रहा है. ताकि रोजगार के अवसरों को और अधिक से अधिक बढ़ाया जा सके. इस बदलाव के बाद से अब दसवीं पास युवाओं को भी खाद-बीज का कारोबार करने का मौका मिल रहा है. इसके लिए सरकार ने 15 दिन का कोर्स बनाया है, जिसे पूरा करने के बाद युवा खाद-बीज की दुकान खोल सकेंगे.
इस पहल से कृषि में ग्रेजुएशन कर चुके युवाओं के साथ-साथ 10वीं पास युवाओं को भी खाद और बीज कारोबार में उतरने का मौका मिलेगा. यह कदम युवाओं को बिना किसी बड़ी चुनौती के रोजगार के अवसर प्रदान करेगा. खाद-बीज क्षेत्र में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाएं युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सशक्त माध्यम साबित हो सकती हैं और कृषि क्षेत्र में नये अवसर पैदा कर सकती हैं.
अब खाद और बीज के बिजनेस में कम निवेश करके ज्यादा पैसा कमाने का तरीका बदल गया है. अब खाद और बीज कारोबार में उतरने के लिए लाइसेंस लेने के लिए नए नियम लागू हो गए हैं. व्यावसायिक योग्यता हासिल करने के लिए खाद-बीज केंद्र में 12500 रुपये पंजीकरण शुल्क देना होगा. इस कोर्स को पूरा करना अनिवार्य है और जो इसे पूरा नहीं करेगा उसे लाइसेंस नहीं मिलेगा.
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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक अहम फैसला लिया है. अब खाद-बीज की दुकान खोलने के लिए 10वीं पास होना जरूरी होगा. इस क्षेत्र में काम करने के लिए सबसे पहले एग्रीकल्चर में बीएससी या एग्रीकल्चर में डिप्लोमा होना चाहिए. अब 10वीं पास लोग भी कीटनाशकों और खाद-बीज का बिजनेस कर सकते हैं, क्योंकि यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. यह निर्णय उर्वरक एवं बीज क्षेत्र में नई उम्मीदों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
खाद और बीज व्यवसाय के लिए लाइसेंस लेने से पहले आपको कृषि विज्ञान केंद्र से 15 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करना होगा. यदि आप यह कोर्स पूरा नहीं करते हैं तो आपको लाइसेंस नहीं मिलेगा. इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. आपको पंजीकरण शुल्क के रूप में 12500 रुपये कृषि विज्ञान केंद्र में जमा करने होंगे.
गोबर की खाद सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाली जैविक खाद मानी जाती है. इस जैव उर्वरक में पोटेशियम, मैग्नीशियम, नाइट्रोजन, कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए गोबर की खाद अच्छी मानी जाती है. गोबर की खाद का उपयोग सीधे सब्जियों वाले गमलों की मिट्टी में किया जा सकता है और सब्जियों की पैदावार आसानी से बढ़ाई जा सकती है.