
जालना जिले में एक किसान ने अपने ही खेत की जमीन वापस पाने के लिए ऐसा अनोखा और साहसिक कदम उठाया, जिसने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया. नायबराव गोंडगे नामक किसान ने अपने ही खेत में खुद को जमीन में गाड़कर प्रशासन से अपनी जमीन लौटाने की मांग की. यह आंदोलन न केवल उनके संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह उन किसानों की समस्याओं को भी उजागर करता है, जिन्हें अक्सर जमीन विवादों का सामना करना पड़ता है.
नायबराव गोंडगे 50 वर्ष के हैं और अपने परिवार के साथ मंठा तालुका के गेवराई गांव में रहते हैं. गोंडगे का परिवार लंबे समय से खेती और जमीन से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय है. उनकी पुश्तैनी जमीन सर्वे नंबर 18, गट नंबर 61, 62 और 63 में स्थित है. यह जमीन उनके परिवार के लिए केवल संपत्ति नहीं, बल्कि आजीविका और पहचान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
किसान गोंडगे का आरोप है कि कुछ लोगों ने उनके परिवार के सदस्यों की भोलेपन और गैर-जागरूकता का फायदा उठाकर उनकी जमीन का कुछ हिस्सा अवैध तरीके से अपने नाम कर लिया. उन्होंने बताया कि जमीन के कुछ हिस्सों को डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन के माध्यम से सर्वे नंबर 14, 15, 19 और 40 के नाम दर्ज कर दिया गया. गोंडगे ने स्पष्ट किया कि उनके परिवार में किसी ने भी जमीन नहीं बेची है, फिर भी कुछ लोगों ने गैरकानूनी तरीके से जमीन अपने नाम कर ली. यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक रूप से भी संवेदनशील है, क्योंकि जमीन के विवाद ने परिवार के सम्मान और उनके अधिकारों पर गहरा प्रभाव डाला है.
अपनी जमीन वापस पाने की मांग को लेकर नायबराव गोंडगे ने एक ऐसा अनोखा कदम उठाया, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. उन्होंने खुद को जमीन में गाड़कर विरोध जताया. यह तरीका बेहद साहसिक और अद्वितीय था, जिसने प्रशासन और गांव के लोगों दोनों का ध्यान खींचा. इस आंदोलन के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना कोई अपराध नहीं है और कभी-कभी अजीबो-गरीब तरीके ही ध्यान खींचने का सबसे प्रभावशाली माध्यम बन जाते हैं.
किसान गोंडगे ने आंदोलन के दौरान अपनी मांगों का निवेदन प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा. अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने अपना आंदोलन वापस लिया. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो वे और भी तेज़ और प्रभावशाली आंदोलन करेंगे. प्रशासन के साथ बातचीत ने यह भी दिखाया कि संवाद और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से समाधान संभव है, लेकिन इसके लिए अधिकारियों को गंभीरता से मामले को देखने की आवश्यकता है.
गांव और आसपास के क्षेत्रों में नायबराव गोंडगे के आंदोलन को लेकर काफी चर्चा है. स्थानीय लोग और किसान उनके साहस की सराहना कर रहे हैं. उनका यह कदम अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो अपने अधिकारों और जमीन के मामलों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. सामाजिक रूप से, यह आंदोलन यह भी दर्शाता है कि न्याय पाने के लिए कभी-कभी असामान्य और साहसिक कदम उठाने पड़ सकते हैं.
नायबराव गोंडगे का यह अनोखा आंदोलन यह साबित करता है कि अपने अधिकारों की रक्षा करना हर व्यक्ति का हक है. चाहे समस्या कितनी भी जटिल क्यों न हो, साहस और सही रणनीति से समाधान संभव है. जालना में इस आंदोलन ने न केवल एक किसान की आवाज को बुलंद किया है, बल्कि अन्य किसानों और नागरिकों को भी अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की प्रेरणा दी है.
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