बिहार में अभी कई जगहों पर मक्के की खेती की गई है. किसान अभी के मौसम को लेकर परेशान हैं. कुछ इलाकों में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि दर्ज की गई है. साथ ही तापमान में असामान्य बदलाव देखा जा रहा है. इसके अलावा फसल में कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है. यह कीट है फॉल आर्मी वर्म जो मक्का फसल के लिए बहुत खतरनाक होता है. बिहार सरकार ने इस कीट को लेकर किसानों को आगाह किया है और इससे फसल को बचाने की अपील की है.
बिहार के कृषि विभाग ने फॉल आर्मी वर्म की पहचान और उससे नियंत्रण के उपाय बताए हैं. सबसे पहले फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान के बारे में जान लेते हैं.
नीचे बताए गए रासायनिक कीटनाशकों में से किसी एक कीटनाशी का छिड़काव कर सकते हैं:-
1. स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस०सी० @0.5 मिली/लीटर पानी.
2. क्लोरेंट्रोनिलिप्रोएल 18.5 एससी @ 0.4 मिली/लीटर पानी.
3. थियामेथोक्साम 12.6 प्रतिशत लैम्बडा साइहैलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत जेड सी @ 0.25 मिली/लीटर पानी.
इस कीट के लार्वा का बहुत अधिक प्रकोप होने पर केवल विशेष चारा (फंसाने के लिए जहरीला पदार्थ चुग्गा) ही प्रभावी है. 2-3 लीटर पानी में 10 किलो चावल की भूसी और 2 किलो गुड़ मिलाकर मिश्रण को 24 घंटे तक (फर्मेंटेशन) के लिए रखें. प्रयोग से आधे घंटे पहले 100 ग्राम थार्योंडिकार्ब 75 प्रतिशत WP मिलाकर 0.5-1 सेमी व्यास के आकार की गोलियां तैयार कर विशेष चारा को शाम के समय पौधे की गंभा (Whorl) में प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए.
ड्रोन से छिड़काव करने पर किसानों को 240 रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान भी मिलेगा. इसके संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए किसान अपने सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण/जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं.
अगर आप मक्का में कीटों का जैविक नियंत्रण करना चाहते हैं तो उसका उपाय भी बहुत आसान है. आप हेलिकोवरपा एनपीव्ही 100 एमएल घोल का प्रति एकड़ छिडकाव कर सकते हैं. तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा चिलोनिस के 30,000 अंडे प्रति एकड़ प्रति सप्ताह की दर से फसल में छिड़क सकते हैं. इसके अलावा एपेंटालिस, ट्रायकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल जैसे मित्र कीटों का संरक्षण करें तो मक्का फसल को बहुत लाभ होगा.
मित्र कीटों में ब्यूवेरिया बेसियान का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह प्रकृति में मौजूद सफेद रंग की मित्र फफूंद है. यह कीट की प्रारंभिक अवस्था और प्यूपावस्था को संक्रमित करता है. कीट कुछ दिनों में लकवाग्रस्त होकर मर जाता है. मृत कीट सफेद रंग की ममी में तब्दील हो जाता है. इस मित्र फफूंद की उचित वृद्धि के लिए अधिक नमी की जरूरत होती है.