पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के बाद फसलों पर रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है. बारिश के बाद नमी बढ़ जाती है. जिसके बाद धूप निक पर फसलों पर रोग और कीटों का खतरा मंडराने लगता है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी आशंका जताई है और किसानों को सावधान किया है. साथ ही, उन्हें रोग और कीट प्रबंधन में तत्परता बरतने की सलाह दी है, ताकि उनकी मेहनत से उगाई गई फसल बर्बाद न हो.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बारिश खत्म होने के बाद जैसे ही मौसम साफ होगा, धान पर बैक्टीरियल ब्लाइट या शीथ ब्लाइट का प्रकोप हो सकता है. ब्लाइट या रॉट रोग सब्जी की फसलों को भी नष्ट कर सकता है. ऐसे में किसानों को लक्षण दिखते ही दवाओं का छिड़काव करना चाहिए.
बैक्टीरियल ब्लाइट: इस बीमारी में पत्तियां ऊपर से पीली पड़ने लगती हैं. इसके लिए मात्र छह ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
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शीथ ब्लाइट रोग: इस रोग के लक्षण पत्ती के आवरण और पत्तियों पर दिखाई देते हैं. इसमें पत्ती के आवरण पर 2-3 सेमी लंबे हरे-भूरे या भूसे के रंग के धब्बे बनते हैं. इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर 200 मिली हेक्साकोनाजोल को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
मिथ्या कंड: इस रोग के लक्षण बाली निकलने के बाद ही दिखाई देते हैं. इसमें रोगग्रस्त दाने पीले या नारंगी रंग के होते हैं जो बाद में जैतून के काले रंग के गोले में बदल जाते हैं. संक्रमित पौधों को सावधानीपूर्वक हटा दें और जलाकर नष्ट कर दें. रोगग्रस्त क्षेत्रों में फूल आने के दौरान 200 मिली प्रोपिकेनजोल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. सब्जियों में ब्लाइटोक्स 50 की 0.5 मिली मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें.
बरसात के मौसम में नमी के कारण उड़द की फसल में पीला मोजेक रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इस रोग से फसलों को बचाने के लिए किसानों को खेत में खराब पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. इसके बाद कीट नियंत्रण के लिए उड़द की फसल पर थायमेथोक्साम, एसिटामिप्रिड, इमिडाक्लोप्रिड कीटनाशक का छिड़काव करें. वहीं सोयाबीन की फसल में गर्डल विल्ट रोग का प्रकोप होने पर ट्रायजोफॉस 40 सीसी दवा का छिड़काव करें. किसान समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर फसलों को रोग से बचाने के उपाय कर सकते हैं.
सोयाबीन के पौधे में बीमारियों के चलते पौधे की पत्तियां मुरझाई व सूखी दिखाई देती है तो इसमें गर्डल वीटल कीट से प्रभावित हो जाती है. इससे पौधे सूखने लगते है. उड़द के पौधों के पत्ते पीले होने पर येलो मोजेक रोग का असर होता है.
दवा का छिड़काव करते समय स्टीकर के रूप में डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल अवश्य करें ताकि दवा पौधों पर चिपक जाए. साथ ही खेत में पानी की निकासी का भी प्रबंध करें.