रीवा जिले के अन्नदाता इन दिनों यूरिया खाद के वितरण में परेशानियों का सामना कर रहे हैं. एक बोरी यूरिया के लिए किसान खाद गोदाम में भूखे प्यासे रात दिन डटे रहे. खाद की रैक आने की खबर सुनते ही किसान महिलाएं और बच्चे लाइन लगाकर खड़े हो गए. प्रशासन को पुलिस फोर्स और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगानी पड़ी. तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई. बावजूद इसके कई किसान बिना खाद के लौटने को मजबूर हो गए. शहर के करहिया मंडी में खाद की रैक आने की खबर जैसे हो किसानों को मिली खाद गोदाम में लंबी कतार लग गई.
दूर-दूर से आए किसानों ने रात में ही मंडी में डेरा जमा लिया है, लेकिन ना तो मंडी में भोजन-पानी की व्यवस्था थी और ना ही अन्य सुविधाएं. खाद की किल्लत झेल रहे किसानों में शासन प्रशासन की अव्यवस्था पर खासा रोष देखने को मिला. खाद वितरण केंद्र में टूटी किसानों की भीड़ को बेकाबू होते देख कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाई गई है. प्रशासन किसानों को खाद की पर्याप्त उपलब्धता होने और सभी को वितरण होने की समझाइश देकर व्यवस्था बनाते रहे.
किसानों का आरोप है कि समितियों के साथ ही निजी दुकानदारों को भी खाद वितरित की गई है. यहां तीन गुना महंगे दाम पर बेचा जा रहा है. किसानों ने बताया कि वे लगातार 10- 15 दिनों से खाद पाने के लिए वितरण केंद्र पहुंचे तो रहे हैं लेकिन खाद अब तक नहीं मिली. उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है. किसान रात से लाइन में लगे हुए हैं, लेकिन यह गारंटी नहीं है कि पूरा दिन बीतने के बाद भी उन्हें खाद मिल पाएगी.
नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला का कहना है कि मौजूदा समय में 80 टन खाद का स्टॉक है. खाद वितरण के लिए 3 काउंटर बनाए गए है. तीनों काउंटर से खाद दी जा रही है. किसानों को रकबे के हिसाब से खाद बांटी जा रही है. किसानों को लग रहा है कि खाद की उपलब्धता खत्म हो जाएगी इसलिए एक साथ ज्यादा संख्या में किसान वितरण केंद्र में आ रहे है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में इस खरीफ सीजन में मक्का फसल की बुवाई का रकबा काफी बढ़ गया है, जिसकी वजह से यूरिया की खपत और मांग में तेजी देखी जा रही है. वहीं, मुख्यमंत्री के कुछ दिनों पहले दिए गए बयान के मुताबिक, प्रदेश को जल्द ही केंद्र की ओर से अतिरिक्त यूरिया खाद मिलने की संभावना है. (विजय कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट)