अब मशरूम की खेती करना बहुत ही आसान हो गया है. नई-नई तकनीक आने से किसानों को मशरूम की खेती में सहूलियतें मिल रही हैं. यही वजह है कि मशरूम की खेती करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एक कारण ये भी है कि इसकी खेती के लिए ज्यादा बड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है. मशरूम को ग्रो किट के माध्यम से घर में भी उगाया जा सकता है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ प्रभात कुमार शुक्ला ने एक ऐसी किट तैयार की है जिसको कोई भी ले जाकर अपने घर में मशरूम उगा सकता है.
इन नए तरीके से मशरूम को उगाना बेहद आसान है. देश के भीतर चार तरह के मशरूम उगाए जाते हैं जिनमें बटन और ऑयस्टर मशरूम सबसे ज्यादा पॉपुलर है. हालांकि डूंगरी और मिल्की मशरूम को भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. ठंड का मौसम मशरूम की खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त माना गया है.
मशरूम उगाने के लिए गेहूं या धान की भूसी की जरूरत होती है. भूसी में कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है फिर इसमें मशरूम का बीज (स्पॉन) डाला जाता है. एक किलो मशरूम के बीज से 10 किलो भूसे की ग्रो कीट तैयार हो जाती है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के मशरूम की ट्रेनिंग देने वाले तकनीकी सहायक अश्वनी कुमार गौतम ने बताया कि ऑयस्टर मशरूम की ग्रो किट तैयार करने से लेकर 60 दिनों के भीतर में इसकी पैदावार होती है.
अश्विनी कुमार गौतम बताते हैं, एक किट से दो किलो तक मशरूम मिलता है. उनके संस्थान के द्वारा 40 रुपये में यह किट किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है. इसको घर में भी रख कर बड़ी आसानी से मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.
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मशरूम का सेवन करने से कई तरह की बीमारियों में फायदा मिलता है. मशरूम में anti-diabetic गुण भी पाया जाता है जो रक्त में मौजूद शुगर लेवल को कम करने के साथ-साथ मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाव करता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रभात कुमार शुक्ला ने बताया कि मशरूम के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इसमें विटामिन D2 और विटामिन D3 पाया जाता है.
मशरूम में प्रोटीन ,बीटा कैरोटीन ,ग्लूकन जैसे पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों से जुड़ी बीमारियों ठीक करने में मदद करते हैं. मशरूम के सेवन से हानिकारक फ्री रेडिकल से बचाव होता है जिसके चलते कैंसर का खतरा भी कम होता है. मशरूम में कैलोरी की मात्रा कम होती है जिसके खाने से पेट भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती है.