खुशी के हर मौके पर देश में मिठाई मौजूद होती है, क्योंकि मुंह मीठा कराने का हमारे देश में रिवाज है. इसी वजह से हर त्योहार के मौके पर मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है. मसलन ज्यादातर बड़े त्यौहार के मौके पर दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों की डिमांड में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की जाती है. इसमें एक होली भी है. होली के मौके पर तैयार होने वाला गुजिया खोवे के बिना अधूरा है. मसलन गुजिया के साथ ही अन्य सभी मिठाईयां खोवे यानी मेवे से तैयारी होती है, लेकिन मिलावटखोर हमारी इस खुशियों की मिठाई में मिलावट करने से परहेज नहीं करते हैं. मिलावटखोर खोवे यानी मेवे में मिलावट करते हैं. जो त्यौहार पर हमें बीमार करने के लिए काफी है.
ऐसे में मिठाई में इस्तेमाल होने वाले खोवा या मावा को इस्तेमाल करने से पहले इसके असली या नकली होने की पहचान करना जरूरी हो जाता है.आज किसान तक खोवे की पहचान करने के कुछ आसान ट्रिक प्रस्तुत कर रहा है, जिसकी सहायता से आप घर बैठे बड़ी आसानी से असली और नकली खोवे के बीच पहचान कर सकेंगे. मिलावट से होने वाले नुकसान से अपनी सेहत को बचा सकेंगे.
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देश में होली और दिवाली दो ऐसे बड़े त्यौहार हैं, जिसमें लोग बड़े पैमाने पर मिठाइयों का प्रयोग करते हैं. खोवा या मावे से बनी हुई मिठाइयों की दुकानें सज जाती हैं. ऐसे मौके पर हम इन मिठाइयों में असली नकली का फर्क ही नहीं कर पाते हैं. इसलिए किसान तक आपको बताने जा रहा है कि कैसे असली खोवे की पहचान करें. इसके लिए खाद्य एवं औषधि विभाग त्योहारों के मौके पर खास रूप से सक्रिय रहती है. लखनऊ में फूड सेफ्टी व्हेन आन व्हील एक चलती फिरती लैब है, जो मिलावट की पहचान करती है और मिलावटखोरों को दंडित भी किया जाता है.