गन्ने की टिकाऊ खेती से बढ़ेगी किसानों की कमाई, प्रति हेक्टेयर उपज में तमिलनाडु को पछाड़ेगा यूपी

गन्ने की टिकाऊ खेती से बढ़ेगी किसानों की कमाई, प्रति हेक्टेयर उपज में तमिलनाडु को पछाड़ेगा यूपी

एक्सपर्ट ने चिंता जताई कि उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर गन्ने की औसत उपज 84 टन है, जो तमिलनाडु की तुलना में काफी कम है. एक्सपर्ट ने कहा कि आधुनिक तकनीकों की सीमित उपलब्धता, मार्केट का कम एक्सेस और खेती के लिए सही इनपुट का इस्तेमाल नहीं किए जाने से उपज में गिरावट देखी जा रही है.

टिकाऊ खेती के साथ आधुनिक तकनीक और मेथड का इस्तेमाल किसानों को करना होगा. टिकाऊ खेती के साथ आधुनिक तकनीक और मेथड का इस्तेमाल किसानों को करना होगा.
रिजवान नूर खान
  • Noida,
  • Mar 03, 2025,
  • Updated Mar 03, 2025, 4:31 PM IST

उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर गन्ना की उपज तमिलनाडु से कम होती है. इसे बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने किसानों को बीज, मिट्टी की जांच, प्रेसीजन स्प्रे टेक्नोलॉजी और वित्तीय मदद देने पर जोर दिया है. जबकि, भारत में विश्लेषण में बताया गया कि भारत में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज और किसानों की आय चीन की तुलना में केवल एक तिहाई है. जबकि, अन्य विकसित देशों की तुलना में मात्र 25-30 फीसदी है. एक्सपर्ट ने कहा कि उपज और कमाई को हर हाल में बढ़ाने के लिए टिकाऊ खेती के साथ आधुनिक तकनीक और मेथड का इस्तेमाल किसानों को करना होगा. 

देश की दिग्गज एग्रीटेक कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने लखनऊ में शुगरकेन सस्टेनेबिलिटी पर आयोजित कार्यक्रम में गन्ना की खेती को लेकर आंकड़े पेश किए. शुगरकेन सस्टेनेबिलिटीः बैस्ट प्रेक्टिसेज एंड इनोवेशन्स’ पर केवीके वैज्ञानिकों, इंडस्ट्री एक्सपर्ट, शुगर मिल मालिकों और और सरकारी अधिकारियों ने टिकाऊ खेती पर जोर दिया. उत्तर प्रदेश में गन्ने की उपज और क्वालिटी में सुधार लाने और इस क्षेत्र की चुनौतियों को हल करने पर तेजी से काम करने पर जोर दिया है. 

तमिलनाडु से काफी कम है यूपी में गन्ना उपज 

उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर कम गन्ना उपज की समस्या पर एक्सपर्ट ने चिंता जताई. आंकड़ों के जरिए बताया गया कि उत्तर प्रदेश का वर्तमान में प्रति हेक्टेयर औसत उपज 84 टन है, जबकि तमिलनाडु में यह औसत उपज 105 टन है. तमिलनाडु की तुलना में कम उपज को लेकर कहा गया कि बीज, मिट्टी की जांच, प्रेसीजन स्प्रे टेक्नोलॉजी और वित्तीय मदद के जरिए उपज को बढ़ाया जा सकता है. किसानों और इससे जुड़े लोगों को इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा. 

सही इनपुट इस्तेमाल नहीं करने से कम है उपज 

एक्सपर्ट ने कहा कि आधुनिक तकनीकों की सीमित उपलब्धता, मार्केट का अनुपयुक्त एक्सेस और खेती के लिए उचित इनपुट का इस्तेमाल नहीं किए जाने से उपज में गिरावट देखी जा रही है. इसमें सुधार के लिए गन्ने की खेती और कारोबार से जुड़े लोगों को ज्यादा मेहनत करनी होगी. 

यूपी में कृषि उत्पादन चार गुना तक बढ़ाने की क्षमता  

यूपी में प्रगतिशील किसानों ने 284 टन तक की उत्पादकता भी हासिल की है. हालांकि, प्रदेश में अभी भी बहुत अधिक क्षमता है, जिसका सदुपयोग किया जा सकता है. सीआईआई मीटिंग के दौरान यूपी के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उपजाऊ जमीन के साथ ही गंगा और यमुना जैसी नदियों से पर्याप्त जल संसाधनों के उपलब्ध होने के चलते प्रदेश में खेती के उत्पादन को बढ़ाकर तीन गुना या चार गुना तक भी किया जा सकता है.

गन्ना उत्पादन में चीन से बहुत पीछे है भारत 

कार्यक्रम में एक तुलनात्मक विश्लेषण में बताया गया कि भारत में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज और किसानों की आय चीन की तुलना में केवल एक तिहाई है. जबकि, अन्य विकसित देशों की तुलना में यह मात्र 25-30 फीसदी है. इन चुनौतियों पर बात करते हुए डॉ. आर जी अग्रवाल, चेयरमैन एमेरिटस ने उत्पादकता और मुनाफा बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि प्रथाओं तथा वैज्ञानिक प्रगति की जरूरत जोर दिया. उन्होंने कहा कि धानुका एग्रीटेक ऐसे आधुनिक समाधान उपलब्ध कराती रहेगी जो देश भर में गन्ना किसानों की उपज और मुनाफा बढ़ाने में कारगर साबित हों.

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