Farming Tips: सर्दियों में वो मिक्‍स एंड मैच फॉर्मूला जो मिट्टी को बनाएगा हेल्‍दी, किसान होंगे 'वेल्‍दी' 

Farming Tips: सर्दियों में वो मिक्‍स एंड मैच फॉर्मूला जो मिट्टी को बनाएगा हेल्‍दी, किसान होंगे 'वेल्‍दी' 

मटर, बीन्स और क्लोवर जैसी सर्दियों की फलियों वाली फसलें किसानों के लिए सबसे असरदार नैचुरल फर्टिलाइजर में से हैं. उनकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया होते हैं जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलते हैं जिसे पौधे आसानी से सोख सकें. सर्दियों में इन फसलों को उगाकर मिट्टी को बायोलॉजिकली प्रोड्यूस्ड नाइट्रोजन की रेगुलर सप्लाई मिलती है.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 12, 2025,
  • Updated Dec 12, 2025, 4:19 PM IST

ठंड का मौसम नई फसलों की शुरुआत का एक जबरदस्त समय होता है. यह वह मौसम होता है जब  किसान एक ही तरह की फसल पर निर्भर रहने के बजाय, अलग-अलग तरह की ऐसी फसलें उगाते हैं जो सर्दियों की खासियत होती है. सर्दियों में अलग-अलग तरह की फसलें उगाना सिर्फ एक समझदारी भरी प्‍लानिंग है बल्कि वह एक कुदरती तरीका है जो मिट्टी को मजूबूत करता है, इकोसिस्टम को सपोर्ट करता है और फसलों को जमीन में लंबे समय तक टिकने की ताकत बनाता है. आज हम आपको सर्दियों में खेती का एक ऐसा फॉर्मूला बताते हैं जो फसलों के लिए काफी कारगर हो सकता है. 

अलग-अलग जड़ों वाली फसलें 

हर पौधा जमीन में जड़ों का एक खास पैटर्न भेजता है. कुछ गहराई तक जाती हैं तो कुछ सतह के पास फैलती हैं. जब सर्दियों की फसलों में अलग-अलग तरह की चीजें होती हैं, तो ये जड़ें इस तरह से आपस में जुड़ती हैं जिससे मिट्टी की बनावट में काफी सुधार होता है. गहरी जड़ों वाली फसलें जमी हुई परतों को ढीला करती हैं और पानी और हवा के लिए रास्ते खोलती हैं.  कम गहरी जड़ों वाली किस्में ऊपरी मिट्टी को बांधती हैं और एक स्थिर, भुरभुरा टेक्सचर बनाती हैं. 

फलियों से नैचुरल नाइट्रोजन बूस्ट

मटर, बीन्स और क्लोवर जैसी सर्दियों की फलियों वाली फसलें किसानों के लिए सबसे असरदार नैचुरल फर्टिलाइजर में से हैं. उनकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया होते हैं जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलते हैं जिसे पौधे आसानी से सोख सकें. सर्दियों में इन फसलों को उगाकर मिट्टी को बायोलॉजिकली प्रोड्यूस्ड नाइट्रोजन की रेगुलर सप्लाई मिलती है, जिससे सिंथेटिक फर्टिलाइजर पर निर्भरता कम हो जाती है. सड़ी हुई फलियों के बचे हुए हिस्से मिट्टी को और भी ज्‍यादा न्यूट्रिएंट्स वापस देते हैं. 

मिक्स से मिलता ऑर्गेनिक मैटर

अलग-अलग फसलें अलग-अलग तरह का बायोमास छोड़ती हैं. हर फसल मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में अपने-अपने तरीके से मदद करती है. अनाज धीरे-धीरे सड़ने वाला कार्बन मिलाते हैं जो मिट्टी की बनावट को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है. सब्जियां और फलियां जल्दी टूट जाती हैं, जिससे आसानी से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं. अलग-अलग तरह की सर्दियों की फसलों का मिक्सचर बचे हुए हिस्सों का एक बैलेंस्ड मिक्स बनाता है, जिससे मिट्टी अलग-अलग बनावट के ऑर्गेनिक मैटर से भरपूर हो जाती है. यह मिक्सचर नमी बनाए रखने में मदद करता है, मिट्टी के ऑर्गेनिज्म को पोषण देता है और मिट्टी को ज़्यादा उपजाऊ और गहरा बनाता है. 

खरपतवार और कीड़ों को रोकना

सर्दियों में सिर्फ एक तरह की फसल उगाने से अक्सर खरपतवार और कीड़े लग जाते हैं जो उस माहौल में ढल जाते हैं. अलग-अलग तरह की फ़सल उगाने से यह मुश्किल हो जाता है. कुछ कवर फसलों की घनी पत्तियां मिट्टी को छाया देती हैं, जिससे खरपतवार उगना कम हो जाता है. कुछ किस्में कुदरती तरीके से ऐसे कंपाउंड छोड़ती हैं जो खरपतवार को बढ़ने से रोकते हैं. कीड़े-मकौड़ों को मिली-जुली फसलों वाले माहौल में फैलने में मुश्किल होती है जहां रहने की जगह और खाने के सोर्स एक पौधे से दूसरे पौधे में बदलते रहते हैं. 

पूरे मौसम में नमी का बेहतर बचाव

सर्दियों में नमी एक जैसी नहीं हो सकती लेकिन अलग-अलग फसलें इसे ज्‍यादा असरदार तरीके से मैनेज करने में मदद करती हैं. अलग-अलग ऊंचाई और डेंसिटी वाली मिली-जुली छतरियां मिट्टी को इवैपोरेशन से बचाती हैं, जबकि अलग-अलग गहराई वाली जड़ें कई लेयर से पानी खींचती हैं. मिट्टी की बनावट बेहतर होने से पानी ज्‍यादा असरदार तरीके से अंदर जा पाता है और ज्‍यादा समय तक मौजूद रहता है. इससे न सिर्फ सर्दियों की फसलें मजबूत होती हैं बल्कि मिट्टी भी मौसम की शुरुआत में उगने के लिए तैयार होती है.

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