Sugarcane Farming Tips: 5 किलो गोबर के साथ यह प्रयोग ठीक करेगा गन्‍ने का रोग! जानें आसान तरीका

Sugarcane Farming Tips: 5 किलो गोबर के साथ यह प्रयोग ठीक करेगा गन्‍ने का रोग! जानें आसान तरीका

Sugarcane Disease Treatment: बारिश में गन्‍ने की फसल को एक गंभीर रोग से खतरा बढ़ जाता है, जो उपज की गुणवत्ता बिगाड़ देता है. लेकिन इसका इलाज खेत में पहले से मौजूद एक आम चीज़ में छिपा है. जानिए कैसे एक प्राकृतिक उपाय आपकी पूरी फसल बचा सकता है.

Sugarcane Farming Tips Gobar UpaaySugarcane Farming Tips Gobar Upaay
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 19, 2025,
  • Updated Jul 19, 2025, 12:54 AM IST

    देश में इस समय मॉनसून सीजन चल रहा है और विभ‍िन्‍न राज्‍यों में लाखों किसानों के खेतों में गन्‍ने की फसल खड़ी होगी. ऐसे में बारिश के मौसम में गन्‍ना फसल की देखरेख करना बेहद जरूरी है. सामान्‍यत: बारिश के मौसम में गन्‍ने की ग्रोथ बढ़ि‍या होती है, लेकिन ज्‍यादा बारिश के कारण फसल को नुकसान होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में फसल को जलभराव से बचाने के लिए पानी के निकास की सही व्‍यवस्‍था करें नहीं तो इससे फसल में कीट लगने, रोग लगने, जड़ सड़ने और उपज की क्‍वालि‍टी पर बुरा असर पड़ सकता है.

    बारिश में गन्‍ने में बीमारी का खतरा ज्‍यादा

    आज हम आपको गन्‍ने के ऐसे रोग और उसके उपचार की जानकारी देने जा रहे हैं, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है और उसका समाधान गोबर में छिपा है. बारिश के मौसम में गन्‍ने की फसल में कई बीमारियां हो सकती हैं और इनमें लाल सड़न रोग और तना सड़न रोग शामिल हैं. ऐसे में पहले जानते हैं लाल सड़न रोग के बारे में. गन्‍ने की फसल में लाल सड़न रोग होने पर पौधे की पत्तियां पीली पड़कर नीचे से सूखने लगती हैं. यह एक फफूंदजनक रोग है और गन्‍ने के विकास में बाधा डालता है.

    लाल सड़न रोग से ऐसे पाएं छुटकारा

    कृषि एक्‍सपर्ट के मुताबिक, यह रोग लगने पर संक्र‍म‍ित पौधे को खेत से हटा देना चाहिए, ताकि यह अन्‍य पौधों में न फैले. इसके उपचार के लिए किसानों को कार्बेंडाजिम 0.1% का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. रोग द‍िखने पर फसल में इस दवा का 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल में 2 बार फसलों पर छिड़काव करना चाहिए. इस दवा के छिड़काव कर आसानी से लाल सड़न रोग से बचाव किया जा सकता है.

    गोबर से गन्‍ने की कौन-सी बीमारी होगी ठीक?

    आप सोच रहे होंगे कि गोबर के इस्‍तेमाल से कैसे गन्‍ने की कोई बीमारी ठीक हो सकती है, लेकिन यह प्रयोग फायदेमंद और असरदार है. बारिश के मौसम में गन्‍ने की फसल में एक और फफूंदजनित रोग- तना सड़न रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. यह रोग होने पर गन्‍ने की गांठ में गाढ़ा काला रंग दिखने लगता और इसमें सड़न फैलने लगती है.

    गन्‍ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए किसानों को प्रति एकड़ में 5 किलो सड़े हुए गोबर के साथ 250 से 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी का इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती है. दरअसल, गोबर में ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाने पर यह मिश्रण जैव‍िक रोगनाशक की तरह काम करता है, जिससे प्रभावी रूप से फफूंदजनित रोग से बचाव होता है. 

    फोटो: AI Generated 

    गन्ने की फसल में गोबर का इस्‍तेमाल क्यों किया जाता है?

    गन्‍ने की फसल में गोबर का इस्‍तेमाल खाद के तौर पर किया जाता है. साथ ही रोग से बचाव के लिए भी दवा के साथ गोबर का इस्‍तेमाल किया जाता है.

    यह जुगाड़ गन्ने को किन-किन रोगों से बचाता है?

    गोबर से गन्‍ने की बीमारी ठीक करने का जुगाड़ फफूंदजनित रोगों के लिए कारगर है. इसमें तना सड़न और अन्‍य कुछ रोग शामिल हैं.

    5 किलो गोबर से कौन सा घरेलू उपाय किया जा सकता है गन्ने की फसल के लिए?

    5 किलो सड़े हुए गोबर में 250–500 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर खेत में डालने से गन्ने की फसल को तना सड़न और फफूंदजनित रोगों से बचाया जा सकता है.

    इस जुगाड़ को खेत में कैसे और कब डालना चाहिए?

    गोबर और ट्राइकोडर्मा को खेत में गन्‍ने के पौधों की जड़ों के पास या मेड़ों पर डालना चाहिए. इसे बारिश के तुरंत बाद या हल्की नमी वाली मिट्टी में डालना सबसे असरदार होता है.

    क्या 5 किलो सड़ा गोबर गन्ने के खेत में डालने से फसल को फायदा होता है?

    हां, गन्‍ने के खेत में 5 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, सूक्ष्म जीव सक्रिय होते हैं. ट्राइकोडर्मा के साथ डालने पर यह फफूंदजनित रोगों से फसल को बचाने में मदद करता है.

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