Medicinal plants: एक बार लगाओ, पांच साल तक कमाओ... ये है सिट्रोनेला की कमाल की खेती

Medicinal plants: एक बार लगाओ, पांच साल तक कमाओ... ये है सिट्रोनेला की कमाल की खेती

आजकल हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, वैज्ञानिक किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की सलाह दे रहे हैं ताकि उनकी आय बढ़ सके. भारत में हजारों ऐसे अमूल्य औषधीय और सुगंधित पौधे हैं जिनका उपयोग किया जाता है. इन्हीं में से एक है सिट्रोनेला, जिसकी खेती एक बार करने पर किसान पांच साल तक लगातार मुनाफा कमा सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

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Medicinal plants: एक बार लगाओ, पांच साल तक कमाओ... ये है सिट्रोनेला की कमाल की खेतीसिट्रोनेला की खेती से बढ़ेगी किसानों की कमाई

आज के दौर में हर्बल और प्राकृतिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में परंपरागत खेती से हटकर औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरी है. जावा सिट्रोनेला (Java Citronella) ऐसा ही एक सुगंधित पौधा है, जिससे निकलने वाला तेल परफ्यूम, मच्छर भगाने वाले उत्पाद, सैनिटाइजर, रूम फ्रेशनर और हर्बल क्रीमों में उपयोग होता है. इसकी बाजार कीमत लगभग 1400 रुपये प्रति लीटर है, जो इसे बेहद लाभकारी फसल बनाती है. जावा सिट्रोनेला की खेती न केवल कम लागत वाली है, बल्कि इसमें कम जोखिम भी होता है. बाजार में इसकी अधिक मांग, एक बार लगाने से पांच साल चलने वाली फसल की प्रकृति और नियमित आय इसे पारंपरिक खेती के मुकाबले कहीं अधिक लाभकारी बनाती है. ऐसे किसान जो अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए यह फसल एक बेहतरीन विकल्प है.

सिट्रोनोला की किस्में और कहा उगाएं

सिट्रोनेला की सबसे खास बात यह है कि यह एक बहुवर्षीय फसल है, जिसे एक बार लगाने के बाद लगातार पांच साल तक 3-4 बार कटाई की जा सकती है. पहले साल में प्रति हेक्टेयर लगभग 150–200 किलोग्राम तेल प्राप्त होता है, जबकि दूसरे से पांचवें साल तक यह 200-300 किलोग्राम तक हो जाता है. इस फसल में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है, जिससे उत्पादन पर खर्च और जोखिम दोनों घटते हैं.

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सिट्रोनेला की खेती के लिए बलुई दोमट और दोमट मिट्टी बेहतर होती है. इसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच सही होता है, हालांकि अम्लीय से 8.5 क्षारीय तक की मिट्टियों में भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. भारत में सिट्रोनेला की कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं. जैसे जोर लैब सी-5 नवीनतम किस्म, जिसमें तेल की मात्रा लगभग 1.20 फीसदी होती है. जोर लैब सी-2: पुरानी किस्म, तेल की मात्रा 0.90 फीसदी के आसपास है. बायो-13 सबसे पुरानी किस्म, तेल की मात्रा 0.80–0.90 फीसदी मिलती है.

सिट्रोनेला की खेती का बेहतर तरीका जानें

सिट्रोनेला की अच्छी पैदावार के लिए खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए. प्रति हेक्टेयर 20–25 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद मिलाएं. साथ ही, 160 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश की दर से एनपीके खाद भी डालें. सिट्रोनेला की बुवाई "स्लिप्स" के माध्यम से की जाती है. यह स्लिप्स पुरानी फसलों से निकाली जाती है. बुवाई के लिए फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त का समय बेहतर है. स्लिप्स को खेत में 5–8 इंच गहरा और 60x45 सेमी की दूरी पर रोपें. बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें. सिट्रोनेला की जड़ें ज्यादा गहराई तक नहीं जातीं, इसलिए सिंचाई नियमित रूप से करनी होती है. गर्मियों में हर 10-15 दिन और सर्दियों में 20-30 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. वर्षा ऋतु में अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती.

सिट्रोनेला: कम लागत में मुनाफे की खेती

सिट्रोनेला की पत्तियों से सुगंधित तेल वाष्प आसवन (steam distillation) या जल वाष्प आसवन (hydro-distillation) विधि द्वारा निकाला जाता है. पत्तियों के एक बैच की आसवन प्रक्रिया पूरी होने में आमतौर पर 3 से 4 घंटे लगते हैं. इस आसवन के लिए उसी संयंत्र का उपयोग किया जाता है जिससे अन्य सुगंधित पौधों का तेल निकाला जाता है. सिट्रोनेला की फसल से पूरे साल में औसतन चार कटाइयों में लगभग 150 से 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सुगंधित तेल का उत्पादन होता है. इस प्रकार, यह फसल पहले वर्ष में लगभग 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर का शुद्ध लाभ देती है, जबकि आने वाले वर्षों में यह लाभ लगभग दोगुना 2 लाख  या इससे भी अधिक हो सकता है.

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