बिहार में इस साल मॉनसून ने सामान्य से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे खेतों में पर्याप्त नमी बनी हुई है. ऐसे में किसान अब रबी सीजन की खेती की तैयारियों में जुट गए हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के कृषि वैज्ञानिकों ने भी रबी और शरदकालीन फसलों की बुवाई को लेकर सलाह देना शुरू कर दिया है.
कृषि वैज्ञानिक अपने साप्ताहिक कृषि सलाह में बताते हैं कि ऊंचाई वाले खेतों में अगात रबी फसलों की बुवाई के लिए बारिश के बाद खेतों की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. सड़ी हुई गोबर की खाद को 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में अच्छी तरह बिखेरकर जुताई करें. यह खाद मिट्टी की जलधारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है.
खेत की अंतिम जुताई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 20 से 30 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाना चाहिए. जहां जिंक की कमी हो, वहां 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. इससे खेत की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होगी और फसल की पैदावार भी बेहतर होगी.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन खेतों में पानी नहीं जमा रहता, वहां रबी फसलों की बुवाई की तैयारी तुरंत शुरू कर देनी चाहिए. खेतों में 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर जुताई करें. अंतिम जुताई के समय नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक की संतुलित मात्रा में उर्वरक डालना भी जरूरी है. जहां जिंक की कमी हो, वहां 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.
इस समय किसान सरसों, मटर, मसूर, लहसुन, धनिया, गन्ना, सूर्यमुखी, मेथी और राजमा जैसी शरदकालीन फसलों की बुवाई की शुरुआत कर सकते हैं. नवंबर में गेहूं की बुवाई का काम भी शुरू हो जाएगा.
खेती शुरू करने से पहले खेतों की सफाई भी जरूरी है. झाड़ियों और मेंड़ों पर उगे अवांछित पौधों में छिपे कीट और रोग बाद में फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए खेत के साथ-साथ उसके आसपास की घास-फूस, झाड़ियों और खरपतवारों की भी सफाई कर लेनी चाहिए.