बारिश न हाेने से फसलाें पर गहराया संकटहिमाचल प्रदेश में इस बार दिसंबर का महीना किसानों और बागवानों के लिए चिंता बढ़ाने वाला साबित हो रहा है. राज्य के सभी 12 जिलों में अब तक 100 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई है, जबकि आमतौर पर इस अवधि में बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी से खेतों और सेब जैसे फलों की बागवानी को नमी मिलती है. बारिश न होने और सामान्य से अधिक तापमान बने रहने से खेती-बागवानी के चक्र पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका गहराती जा रही है.
मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी शिमला और इसके आसपास के जुब्बड़हट्टी क्षेत्र में बुधवार को न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5.3 डिग्री अधिक है. यह इस सीजन की सबसे गर्म रातों में से एक रही. दूसरी ओर, लाहौल-स्पीति का कुकुमसेरी इलाका सबसे ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान माइनस 6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
पर्यटन के लिहाज से अहम शहरों में भी ठंड का असर कमजोर नजर आया. मनाली में न्यूनतम तापमान 3.9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो औसत से 3.7 डिग्री अधिक है. धर्मशाला में रात का तापमान 9.6 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.4 डिग्री ऊपर रहा. भुंतर, बरठीं, सुंदरनगर और सोलन जैसे इलाकों में भी न्यूनतम तापमान सामान्य से थोड़ा ज्यादा रिकॉर्ड किया गया, जिससे ठंड की तीव्रता कम महसूस हुई.
सिर्फ रात ही नहीं, दिन के तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई. सोलन राज्य का सबसे गर्म इलाका रहा, जहां अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से 6.5 डिग्री ज्यादा है. कल्पा में अधिकतम तापमान 16.3 डिग्री सेल्सियस और धर्मशाला में 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके अलावा शिमला और सुंदरनगर में भी दिन गर्म रहे.
मौसम विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों तक राज्य के निचले और मध्य पर्वतीय इलाकों में मौसम शुष्क बना रहेगा. हालांकि, 20 और 21 दिसंबर को ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बर्फबारी की संभावना जताई गई है. इसके साथ ही बिलासपुर जिले में भाखड़ा जलाशय के आसपास और मंडी जिले की बल्ह घाटी में आज और कल के लिए घने कोहरे को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है.
मौसम विभाग के डिवीजन एग्रोमेट की ओर से सोलन जिले में बदलते मौसम और गिरते तापमान को देखते हुए किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की गई है. फसलों को ठंड से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसानों को शाम के समय हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है, जिससे खेतों में नमी बनी रहे.
सब्जी और फल फसलों की नर्सरी को कम तापमान से बचाने के लिए पॉलीशीट या सरकंडा घास से ढकाव करने को कहा गया है. इसके साथ ही किसानों को सब्जी फसलों में कीट और रोगों के हमले पर लगातार नजर रखने की जरूरत बताई गई है.
मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए रोगों के प्रसार को रोकने के लिए जरूरत पड़ने पर कीटनाशकों के छिड़काव की भी सलाह दी गई है. वहीं किसानों से अपील की गई है कि वे स्थानीय भाषा में मौसम और कृषि से जुड़ी जानकारी के लिए मेघदूत ऐप का उपयोग करें. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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