गेहूं और सरसों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक चल रहा है. इसलिए इन दोनों फसलों की इस साल रिकॉर्ड बुवाई हुई है. लेकिन, अच्छी फसल के लिए सिर्फ बुवाई ही काफी नहीं है. बल्कि इसके लिए समय-समय पर जारी की जा रही कृषि वैज्ञानिकों की सलाह का पालन करना भी जरूरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने रबी सीजन की फसलों को लेकर एक नई एडवाइजरी जारी की है. जिसमें बताया गया है कि इस समय सरसों की खेती में रतुआ रोग लग सकता है और गेहूं में दीमक का प्रकोप शुरू हो सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 21-25 दिन की हो गई है तो आवश्कयता अनुसार पहली सिंचाई कर दें. उसके 3-4 दिन के बाद नाइट्रोजन की शेष मात्रा का छिड़काव करें. गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से खेत में शाम को छिड़क दे, और सिंचाई करें.
देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. मौसम को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग एवं चेपा कीट की नियमित रूप से निगरानी करें. रतुआ बीमारी के दौरान पत्तियों पर सफेद और क्रीम रंग के छोटे धब्बे से प्रकट होते हैं. इससे तने व फूल बेढंग आकार के हो जाते हैं, जिसे स्टैग हैड कहते हैं. यह बीमारी ज्यादा पछेती फसल में अधिक होती है.
इसके निदान के लिए नजदीक के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. हालांकि, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में प्लांट रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. एचएस सहारण ने बताया है कि सरसों के सफेद रतुआ बीमारी के लक्षण नजर आते ही 600 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन या इंडोफिल एम 45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 2 बार स्प्रे करें.
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी के लिए फीरोमोन@ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन@3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. फेरोमोन ट्रैप एक प्रकार का कीट जाल होता है.
इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इस समय आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 को 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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