मई का महीना आते ही देश के अलग-अलग राज्यों में किसान अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन यानी जायद की जुताई करने में जुट गए हैं. दरअसल, फसलों की अच्छी पैदावार के लिए गहरी जुताई बहुत ही जरूरी होती है. जुताई के कारण ही फसलों को जड़ें बनाने और उन्हें पोषक तत्व पहुंचाने में मदद मिलती है. गर्मियों में खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई करने से कीट और खरपतवारों से छुटकारा मिलता है. साथ ही मिट्टी जनित रोग भी कम होते हैं, जिससे फसल उत्पादन में 15-20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. इसलिए किसान ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई मई के महीने में करते हैं.
बता दें कि ग्रीष्मकालीन जुताई का वैज्ञानिक अर्थ मिट्टी काटकर इस प्रकार पलट देना है कि भूमि की ऊपरी सतह की मिट्टी नीचे जाए और नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाए. गर्मी की जुताई का यह सही समय है. रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद ही जुताई करने के कई लाभ भी हैं क्योंकि, इस समय खेत में नमी रहने से जुताई आसानी से हो जाती है. लेकिन कई बार किसान खेतों की सही से गहरी जुताई नहीं करते हैं जिससे उत्पादन में कमी आती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्या है गर्मी की जुताई करने का सही तरीका.
गर्मी की जुताई करने वाले किसान अपने खेतों की 15 सेमी तक गहरी जुताई करें क्योंकि ये लाभकारी माना जाता है. यदि ढलान पूरब से पश्चिम की ओर हो तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर करनी चाहिए. यदि जमीन की ढाल ऊंची-नीची है तो इस प्रकार जुताई करना चाहिए कि बारिश के बाद मिट्टी का बहाव न हो. यानी ढाल के विपरीत दिशा में जुताई करनी चाहिए. यदि एकदम ढलान हो तो टेढ़ी-मेढ़ी जुताई करना अच्छा माना जाता है.
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खेतों में गर्मी की जुताई मुख्यत: तीन प्रकार से की जा सकती है. बाहर से भीतर, भीतर से बाहर, चक्का दरार और कहां पर कौन-सी विधि अपनाई जाए, यह खेत की लंबाई-चौड़ाई ऊंचाई-नीचाई पर निर्भर करता है. बाहर से भीतर की जुताई में जब एक बार जुताई समाप्त हो जाए. तब तक ये ध्यान रखना जरूरी है कि मिट्टी पलटने वाले हल से लगातार जुताई न करें. अगर चक्का दरार जुताई करना है तो टर्नरिस्ट हल से जोतना ही उपयुक्त है. इस हल से एक कोने से जुताई करके दूसरे कोने में समाप्त कर देते हैं. जलवायु और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार मिट्टी पलटने वाले हल प्रयोग में लें. गर्मियों में खेत की जुताई के साथ-साथ किसानों को बरसात शुरू होने से पहले ही सिंचाई और जल निकासी वाली नालियों को उचित स्थान पर बना लेना चाहिए.