धान खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल है, देश के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं. ऐसे में धान की नर्सरी तैयार करने का समय नजदीक आ गया है. मई महीने दो हफ्ते बीतते ही किसान खेतों में धान की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट की मानें तो धान की नर्सरी डालने से पहले अगर खेत को बेहतर तरीके से तैयार किया जाए तो अधिक उत्पादन मिल सकता है. इसमें क्यारियों की लंबाई चौड़ाई, बीज की मात्रा, संतुलित खाद-उर्वरकों का प्रयोग, खरपतवारों का नियंत्रण और बीजोपचार आदि शामिल है. इसके अलावा नर्सरी लगाने से पहले अच्छी किस्म के बीजों की भी जरूरत होती है. अगर अच्छी किस्म के बीज के साथ ही किसान वैज्ञानिक तरीके से इसकी नर्सरी लगाएं और खेती करें तो ज्यादा फायदा होगा. ऐसे में आइए जानते हैं नर्सरी की तैयारी से पहले का सारी जानकारी.
धान की पौध डालने से पहले खेत की तैयारी अच्छी होने पर नर्सरी जल्दी और स्वस्थ रूप से बढ़ती है, जिससे उत्पादन बेहतर होता है. वहीं, नर्सरी तैयार करने के लिए खेत को अच्छी तरह से 2-3 बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद, डिस्क हैरो से जुताई करें और फिर कल्टीवेटर चलाएं. अंतिम जुताई से पहले, खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट डालकर अच्छी तरह मिलाएं और खेत को समतल कर लें. इसके बाद 8 मीटर लंबी और 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बनानी चाहिए. फिर बीज का डालना चाहिए.
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नर्सरी तैयार करते समय किसान आधार या प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें. इसके अलावा किसानों को मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 किलो बीज, मोटे धान के लिए 45 किलो और बासमती प्रजातियों के लिए 20 से 25 किलो बीज लेना चाहिए. इसके अलावा धान के बीज को बोने से पहले 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम या थीरम से बीजोपचार कर लेना चाहिए. वहीं, जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 किलो बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोंमाइसीन को मिलाकर पानी में रात भर भिगो दें और 24 से 36 घंटे तक जमाव होने दें. बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें और दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डाल दें.
अच्छी फसल के लिए किसानों को संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे नये पौधों की अच्छे से बढ़वार हो सके और पौधे स्वस्थ रहें. किसानों को 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 10 किलो डाई अमोनियम फास्फेट (DAP) और 2.5 किलो जिंक सल्फेट जुताई से पहले मिट्टी में मिला दें. फिर 10 से 12 दिनों बाद यदि पौधों का रंग हल्का पीला हो जाए तो एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार 10 किलो यूरिया प्रति 1000 मीटर की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला देना चाहिए, जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी तरह से हो सके.
धान की नर्सरी में पायराजोसल्फ्यूरॉन 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पौध निकलने के पहले छिड़काव करें. इसके लिए खरपतवारनाशी को 10 से 15 किलो रेत में मिलाकर उसे नर्सरी के क्यारियों में एक समान रूप से फैला दें और हल्का पानी दें. लगभग 1 से 2 सेंटीमीटर क्यारियों में भरा रहने दें जिससे खरपतवारनाशी एक समान क्यारियों में फैल जाए. ऐसा करने से धान की नर्सरी में खरपतवार नहीं लगते हैं.
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