जूट के पौधों में हो सकता है तना सड़न रोग, बचाव के लिए IMD की सलाह पढ़ें बंगाल के किसान

जूट के पौधों में हो सकता है तना सड़न रोग, बचाव के लिए IMD की सलाह पढ़ें बंगाल के किसान

पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर जूट की खेती की जाती है. जूट की खेती को लेकर जारी की गई सलाह में कहा गया है कि इस समय पौधों में तना सड़न की समस्या हो सकती है. इसके अलावा कैटरपिलर और चूसने वाले कीट का प्रकोप हो सकता है. इसलिए किसान इससे बचने का पूरा इंतजाम करें.

जूट की खेती (सांकेतिक तस्वीर)जूट की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 17, 2024,
  • Updated May 17, 2024, 2:02 PM IST

खरीफ सीजन की शुरुआत होने वाली है. किसान खरीफ फसलों के लिए खेत की तैयारी में जुट गए हैं. इसके अलावा इस वक्त खेत में सब्जियां की फसल लगी हुई है. किसान अपनी फसलों से कैसे अच्छी कमाई करें, इसे लेकर मौसम विभाग ने सलाह जारी की है. इसका ध्यान रख किसान फसल की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं. साथ ही फसलों को मौसम के कारण होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए भी मौसम विभाग (IMD) की तरफ से सलाह जारी की गई है. इस सलाह में धान, मकई, जूट, चायपत्ती समेत अन्य फसलों और सब्जियों की खेती को लेकर सलाह जारी की गई है. 

पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर जूट की खेती की जाती है. जूट की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि इस समय पौधों में तना सड़न की समस्या हो सकती है. इसके अलावा कैटरपिलर और चूसने वाले कीट का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए स्पाइनोसैड 0.3 मिली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें. इसके अलावा इमामेक्टिन बेंजोएट 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ या इंडोक्साकार्ब 0.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ शाम के समय छिड़काव करना चाहिए.

अगर खेत में रोग का संक्रमण अधिक दिखाई दे रहा है तो 7-8 दिन बाद दोबारा छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा जूट में तना सड़न रोग का भी प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए खेत में 3-4 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. पौधों में रस चूसक कीट के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए जूट स्प्रे डायनोटेफेरन 20 प्रतिशत एसजी का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. 

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पत्ती रोलर रोग का उपाय

चायपत्ति में इस समय बार पत्ती रोलर रोग की शिकायत होती है. इसमें चाय की पत्तियां मुड़ जाती हैं. इसमें कीट पत्ति को मोड़ देता है, फिर उसे खाना शुरू करता है जिसके कारण पत्ता सूख जाता है. इसे नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले उन पत्तियों को तोड़ कर फेंक देना चाहिए जो प्यूपा से संक्रमित हो गई हैं. इसके अलावा खेत में कीट को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन जाल का प्रयोग किया जा सकता है. अगर प्रकोप अधिक है तो काबोसल्फान 2 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. इसके अलावा क्लोरपायरीफॉस का 2.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

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टमाटर की खेती के लिए सलाह

कृषि सलाह में कहा गया है कि टमाटर की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप हो सकता है. इसके फूल गिर सकते हैं. इसके कारण फलन में देरी हो सकती है. सफेद मक्खी का नियंत्रण करने के लिए एक ही बार कीटनाशक का प्रयोग नहीं करें क्योंकि नियमित रूप से कीड़े विकसित होते हैं. इसलिए नियमित अंतराल पर कीटनाशक का प्रयोग करें. बेहतर रिजल्ट हासिल करने के लिए स्प्रेइमिडाक्लोप्रिड 0.8 मिली प्रति लीटर पानी या एसिडामिप्रिड 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. नमी के तनाव के कारण फूल गिरते हैं, इसलिए खेत में नमी बनाए रखें. 

 

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