Farming Tips: डाइटिंग करने वालों की फेवरिट शकरकंद, इन खास तरीकों से करें इसकी खेती, होगा बंपर फायदा

Farming Tips: डाइटिंग करने वालों की फेवरिट शकरकंद, इन खास तरीकों से करें इसकी खेती, होगा बंपर फायदा

Farming Tips: शकरकंद उगाना काफी आसान है. यह एक ऐसी सब्‍जी है जिसे धूप वाली जगह और उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है. मिट्टी की बात करें तो बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्‍यादा सही रहती है जिसमें पानी का निकास बहुत अच्छा हो. अगर मिट्टी बहुत भारी या जलभराव वाली होगी तो कंदों के सड़ने की आशंका रहती है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 13, 2025,
  • Updated Jul 13, 2025, 1:19 PM IST

इन दिनों लोग अपने खान-पान पर काफी ध्‍यान देने लगे हैं और अब कई ऐसी सब्जियों को तरजीह दी जाने लगी हैं, जिन्‍हें पहले नजरअंदाज किया जाता था. शकरकंद यानी स्‍वीट पोटैटो भी ऐसी ही सब्जियों में शामिल हो गई है. इस समय यह उन लोगों की फे‍वरिट सब्‍जी बन गई है जो डाइट को फॉलो करते हैं. आलू की जगह पर अब लोग शकरकंद खाना पसंद कर रहे हैं. शकरकंद के रसीले पत्‍ते और मीठे कंद होते हैं. एक अनुमान की मानें तो भारत में करीब 2 लाख एकड़ जमीन पर शकरकंद की खेती होती है. बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्‍तर प्रदेश और ओडिशा भारत में शकरकंद उगाने वाले प्रमुख राज्य हैं. ऑर्गेनिक खेती करने वाले कई किसान शकरकंद की खेती करके मोटा मुनाफा कमाने लगे हैं. इसकी फसल 90-120 दिनों में तैयार हो जाती है. 

कैसी होनी चाहिए मिट्टी 

शकरकंद उगाना काफी आसान है. यह एक ऐसी सब्‍जी है जिसे धूप वाली जगह और उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है. मिट्टी की बात करें तो बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्‍यादा सही रहती है जिसमें पानी का निकास बहुत अच्छा हो. अगर मिट्टी बहुत भारी या जलभराव वाली होगी तो कंदों के सड़ने की आशंका रहती है. मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए मिट्टी में ऑर्गेनिक खाद जैसे गोबर की खाद, हरी खाद और वर्मी कंपोस्ट मिलाना जरूरी होता है ताकि मिट्टी उपजाऊ बनी रहे. 

कितना तापमान है सही 

विशेषज्ञों की मानें तो ऑर्गेनिक तरीके से इसकी खेती करने से क्‍वालिटी बेहतर रहती है. साथ ही यह सब्‍जी पूरी तरह से केमिकल फ्री होने की वजह से बाजार में हर समय डिमांड में रहती है.  ऐसी जगहें जहां पर तापमान 21 डिग्री सेंटीग्रेट 29 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सबसे सही माना जाता है. इसकी फसल तेज धूप में तेजी से बढ़ती है. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. अगर आप जैविक खेती कर रहे हैं तो देशी बीजों का चयन करें. ये अधिक रोग प्रतिरोधी होते हैं और स्थानीय जलवायु के अनुकूल होते हैं. 

कैसी खाद है जरूरी 

खेत की अच्छी तैयारी शकरकंद की बेहतर उपज के लिए जरूरी होती है. खेत की गहरी जुताई करने के बाद इसे 10-15 दिन तक खुला छोड़ देना चाहिए. इससे फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट और फफूंद खत्‍म हो जाते हैं. मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट जरूर मिलाएं. इसके अलावा, नीम खली और ऑर्गेनिक फास्फोरस का भी प्रयोग आप कर सकते हैं. खेत को ऊंची क्यारियों में तैयार करना चाहिए, जिससे जलभराव की समस्या न हो और फसल का विकास सही तरीके से हो सके. 

कितना निवेश, कितना फायदा 

शकरकंद की बुवाई के लिए फरवरी-मार्च और जून-जुलाई का समय सबसे अच्छा माना गया है. 20-25 सेमी लंबे टुकड़ों में काटकर नर्सरी में तैयार करें और फिर इन्हें मुख्य खेत में बो दें. पौधों के बीच 30-40 सेमी और पंक्तियों के बीच 60-75 सेमी की दूरी रखनी चाहिए. इससे फसल को सही मात्रा में पोषक तत्व मिल सकते हैं. इसकी फसल को संतुलित सिंचाई भी बहुत जरूरी होती है. बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए. फिर हर सात से 10 दिन के बाद पानी देना चाहिए. याद रखें कि बहुत ज्‍यादा पानी देने से जड़ों के सड़ने की आशंका रहती है. शकरकंद की खेती से नेट प्रॉफिट प्रति हेक्‍टेयर करीब 139433.79 रुपए होता है. जबकि उत्पादन की औसत लागत 593.37 रुपए प्रति क्विंटल तक आंकी गई है. 

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