
भारत में तटीय क्षेत्रों—तमिलनाडु, गुजरात और केरल में सीवीड की खेती तेजी से बढ़ रही है. यह समुद्र में उगाया जाता है और किसान कम लागत में इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. हाल ही में केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में समुद्री शैवाल यानी सीवीड की खेती की दिशा में पहला प्रयास किया गया. यह पहली कोशिश ICAR-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) के गाइडेंस में हुई और इसमें बड़ी सफलता मिली है. पन्निथिट्टू में हुई पहली फसल की कटाई बेहद सफल रही है. इसमें 3.5 गुना तक सीवीड की वृद्धि दर्ज की गई है.
पहली फसल की सफल कटाई से यह साबित हो गया है कि सीवीड की खेती पुडुचेरी के स्थानीय मछुआरा समुदायों, विशेषतौर पर महिला मछुआरों के आय का एक फायदेमंद और टिकाऊ जरिया बन सकती है. यह प्रोजेक्ट पुडुचेरी के फिशरीज और मछुआरा कल्याण विभाग की तरफ से फंडेड है. साथ ही इसे CMFRI के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र की तरफ से चलाई जा रही है. यह प्रोजेक्ट 16 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ था और 15 अप्रैल 2026 तक चलेगा.
सीवीड की खेती को 30 सितंबर को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था. इस प्रोजेक्ट में पुडुचेरी की तीन जगहों पर कुल 16 HDPE सीवीड राफ्ट लगाए गए, जिनमें से हर एक 6-मीटर डायमीटर वाले HDPE सी केज से जुड़ा हुआ था: पन्निथिट्टू, करुकलचेरी और पट्टिनाचेरी. पुडुचेरी तट के लिए HDPE-बेस्ड ट्यूब-नेट मैथेड प्रयोग किया गया था जो खराब समुद्री हालात के लिए सही बताया गया है. कुल 16 HDPE राफ्ट (12.5 × 12.5 फीट) लगाए गए. पन्निथिट्टू मछुआरा कोऑपरेटिव सोसाइटी की कुल छह मछुआरा महिलाओं ने गांव पंचायत के सपोर्ट से खेती का काम किया. इन लाभार्थियों को CMFRI के मंडपम रीजनल सेंटर में केज-फिश कल्चर और सीवीड फार्मिंग की ट्रेनिंग दी गई थी.
सात हफ्ते के कल्चर पीरियड के बाद पहली कटाई हुई जिसमें 3.5 गुना की अच्छी-खासी ग्रोथ हासिल हुई. इससे कुल 1,920 किलोग्राम ताजी सीवीड की फसल मिली. ताजे वजन के हिसाब से 20 रुपये प्रति किलोग्राम के बिक्री मूल्य पर, कुल 38,400 रुपये का रेवेन्यू मिला. इस कटाई को कई खास लोगों ने देखा, जिनमें पुडुचेरी के मत्स्य पालन मंत्री के. लक्ष्मीनारायणन और विधायक लक्ष्मिकांदन शामिल थे. उन्होंने इसमें शामिल मछुआरा महिलाओं से बात की. प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर जॉनसन ने उन्हें प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस के बारे में विस्तार से बताया.
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