सहजन में पाए जाने वाले गुणों की वजह से यह कई लोगों के पसंदीदा सब्जियों में से एक है. सहजन एक बहुत ही उपयोगी पेड़ है. इसे मोरिंगा के नाम से भी जाना जाता है. इस पेड़ के सभी भाग जैसे फल, फूल, पत्ते, बीज सभी में कई पोषक तत्व होते हैं. इसलिए इसका इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है. इसका इस्तेमाल ना सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पशुओं को खिलाने के लिए भी किया जाता है. इसकी खेती से काफी फायदा होता है. वहीं इसकी खेती कर रहे किसानों के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि सहजन को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए क्या करें.
अक्सर जब हम पेड़ से सब्जी या फल तोड़ते हैं तो डंठल के बिना ही उन्हें अलग कर देते हैं. जिसके कारण फल और सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं. इसके पीछे कारण यह है कि जब हम पेड़ों से बिना डंठल फल और सब्जियां तोड़ते हैं तो फल और सब्जी में मौजूद पानी जल्दी सूख जाता है. जिसके कारण वह खराब भी हो जाती है. इसलिए अगर किसान भाई सहजन या अन्य फल और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखना चाहते हैं तो उन्हें इसे डंठल सहित ही तोड़ना चाहिए. इस विधि से तोड़ने पर सहजन में पानी का संचार लंबे समय तक बना रहता है और यह ताजा भी रहता है.
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मोरिंगा की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है. इसकी खेती बंजर, बिना खेती वाली और कम उपजाऊ जमीन में भी की जा सकती है. यह सूखी रेतीली या चिकनी मिट्टी में भी अच्छी तरह से उगता है. इसका पौधा गर्म इलाकों में आसानी से उगता है. इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. ठंडे इलाकों में इसकी खेती बहुत कम की जाती है क्योंकि इसका पौधा ज्यादा ठंड और पाला सहन नहीं कर सकता. वहीं, इसके फूलों के खिलने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है.
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सहजन के फलों की तुड़ाई जरूरत के हिसाब से अलग-अलग अवस्थाओं में की जा सकती है. पौधा लगाने के करीब 160-170 दिन में फल तैयार हो जाता है. एक बार लगाने के बाद 4-5 साल तक इसकी कटाई की जा सकती है. हर साल कटाई के बाद पौधे को जमीन से एक मीटर छोड़कर काटना जरूरी होता है. दो बार फल देने वाली सहजन की किस्मों की कटाई आमतौर पर फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर में की जाती है. एक पौधे से साल भर में करीब 200-400 (40-50 किलो) सहजन के फल मिलते हैं. सहजन की तुड़ाई फल में रेशे आने से पहले ही कर लेनी चाहिए. इससे बाजार में इसकी मांग बनी रहती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है. आपको बता दें कि पहले साल के बाद साल में दो बार उत्पादन होता है और आमतौर पर एक पेड़ 10 साल तक अच्छा उत्पादन देता है.