प्याज हमारे देश में लगभग हर घर में खाई जाने वाली कृषि उपज है. इसलिए देश में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है. लेकिन कई बार फसल इतनी खराब हो जाती है कि किसानों को नुकसान हो जाता है. क्योंकि प्याज का साइज बहुत छोटा रह जाता है या फिर उस पर रोग लग जाते हैं. अगर प्याज का साइज बड़ा होता है तो कम जमीन में किसान अच्छा फायदा कमा लेते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जब गांठों का आकार 6 से 9 सेंटीमीटर व्यास वाला हो जाए तो पत्तियों को पैरों से जमीन पर गिरा देना चाहिए, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाए एवं गांठें ठोस हो जाएं. इसके लगभग 15 दिन बाद गांठों मतलब प्याज की खुदाई करनी चाहिए.
खुदी हुई गांठों को पत्तियों के साथ एक सप्ताह तक सूखा देना चाहिए. यदि धूप तेज हो तो छाया में लाकर रख दें. फिर एक सप्ताह बाद पत्तों को गांठ के ढाई सेंटीमीटर उपर से काट दें. इस प्रकार उन्नत तकनीक अपनाकर प्याज से प्रति हेक्टर लगभग 200 से 350 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है. पत्तियां काटकर सुखाने के बाद प्याज को हवादार सूखी और ठंडी जगह में रखना चाहिए. कटे हुए तथा जुड़वां कन्द छोटे अलग कर देना चाहिए.
खरीफ मौसम में प्याज को सुखाने के बाद शीघ्र बेच दें. अन्यथा गांठें खराब हो जाती हैं या उनमें अंकुरण हो जाता है. कन्दों से लगाई गई प्याज की फसल 90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है तथा बीजों से तैयार की गई फसल 140 से 150 दिनमें तैयार होती है. रबी की फसल तैयार होने पर पत्तियों के शीर्ष पीले पड़कर सूख जाते है. इसके 15 दिन बाद खुदाई करनी चाहिए खरीफ मौसम में पत्तियां गिरती नहीं हैं.
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प्याज के लिये अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 400 से 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से खेत तैयार करते समय मिला दें. इसके अलावा 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस तथा 100 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई से पहले खेत की तैयारी के समय दें. नाइट्रोजन की शेष मात्रा रोपाई के एक डेढ़ माह बाद खड़ी फसल में दें. या फिर वर्मी कम्पोस्ट 10 टन, के साथ 75 किलोग्राम नाइट्रोजन, 37.5 किलोग्राम फास्फोरस एवं 75 किग्रा पोटाश प्रति हैक्टेयर देने से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है.
रबी प्याज पौध रोपण से पूर्व जैविक खाद (एजोस्पाईरिलम या एजोटोबेक्टर) 25 किग्रा को 25 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग करने से नाइट्रोजन की 25 प्रतिशत मात्रा को बचाया जा सकता है. जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में रोपाई से पूर्व जिंक सल्फेट 25 किग्रा प्रति हैक्टेयर भूमि में मिला दें. या फिर रोपाई के बाद जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट का पौध रोपण के 50-60 दिन बाद छिड़काव करें. सूक्ष्म पोषक तत्वों तांबा व मैंगनीज की कमी वाल भूमि में गठिया द्वारा उगाई गई खरीफ प्याज की अधिक पैदावार लेने के लिए सिफारिश की गई नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की मात्रा (100:50:100 किग्रा प्रति हैक्टेयर) के अतिरिक्त 10.5 किलोग्राम कापर सल्फेट (नीला थोथा) एवं 16.5 किलोग्राम मैगनीज सल्फेट प्रति हेक्टेयर का प्याज की रोपाई से पूर्व भूमि में उपयोग करें.
रबी की फसल के लिए बीज मध्य अक्टूबर से लेकर मध्य नवंबर तक बोएं. खरीफ प्याज की खेती के लिए छोटे कन्द बनाने के लिए बीज को जनवरी के अंतिम सप्ताह में या फरवरी के प्रथम सप्ताह में बोएं. इसके लिए 25 ग्राम बीज प्रति वर्ग मीटर पर्याप्त है. एक हैक्टेयर में फसल लगाने के लिए 10 किलो बीज पर्याप्त होता है. पौधे एवं कन्द तैयार करने के लिए बीज को क्यारियों में बोएं. नर्सरी में अच्छी तरह खरपतवार निकालने तथा दवा डालने के लिए बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोना अच्छा रहता है. क्यारियों की मिट्टी को बुवाई से पहले अच्छी तरह भुरभुरी कर लेना चाहिए. खरीफ मौसम में यदि बीज द्वारा पौध बनाकर फसल लेनी हो तो मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के मध्य तक कर सकते हैं.
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