चने के लिए घातक हैं ये 8 खरपतवार, चौपट कर देते हैं फसल, इस दवा से होगा बचाव 

चने के लिए घातक हैं ये 8 खरपतवार, चौपट कर देते हैं फसल, इस दवा से होगा बचाव 

देशभर में चने की खेती की बुवाई का समय चल रहा है, ज्यादातर क्षेत्रों में चने की बुवाई हो चुकी है, लेकिन अगले एक सप्ताह तक बुवाई के लिए किसानों के पास और समय है.

बीते साल की तुलना में चना का रकबा 4 लाख हेक्टेयर कम है.बीते साल की तुलना में चना का रकबा 4 लाख हेक्टेयर कम है.
रिजवान नूर खान
  • Noida,
  • Dec 12, 2024,
  • Updated Dec 12, 2024, 7:06 PM IST

रबी सीजन की प्रमुख फसलों में शुमार चना की बुवाई ज्यादातर इलाकों में हो चुकी है. लेकिन, जिन इलाकों में धान की फसल बोई गई थी वहां चना की खेती में देरी देखी जा रही है. यही वजह है कि बीते साल की तुलना में ताजा रकबा आंकड़ 4 लाख हेक्टेयर कम रहे हैं. चना की खेती करने वाले किसानों के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से खरपतवारों के नियंत्रण को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें 8 तरह के खरपतवारों को चना के लिए घातक बताया गया है और किसानों को इससे बचाव के तरीके और दवाएं भी सुझाई गई हैं. 

इस बार चने के रकबे में उछाल की उम्मीद 

देशभर में चने की खेती की बुवाई का समय चल रहा है, ज्यादातर क्षेत्रों में चने की बुवाई हो चुकी है, लेकिन अगले एक सप्ताह तक बुवाई के लिए किसानों के पास और समय है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने चना की बुवाई क्षेत्रफल के 2 दिसंबर 2024 तक के आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक 74.39 लाख हेक्टेयर में अब तक चने की बुवाई हो चुकी है. हालांकि, बीते साल समान अवधि में 78.52 लाख हेक्टेयर में चने की बुवाई हो चुकी थी. इस हिसाब से करीब 4 लाख रकबे का रहा है. हालांकि, अभी बुवाई समय होने के मद्देनजर रकबा बीते साल का आंकड़ा पार भी कर सकता है. 

चने की फसले के लिए घातक हैं ये 8 खरपतवार 

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो ने चना किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि चने में खरपतवारों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. किसानों को इन खरपतवारों से बचाव के लिए उचित प्रबंध करने होंगे, नहीं तो ग्रोथ चरण होने के चलते पौधो को भारी नुकसान हो सकता है. बताया गया कि चने की फसल में लगने वाले सबसे घातक खरपतवारों में चौड़ी पत्ती की मकोय, जंगली चौलाई, लटजीरा, बिच्छू खास, बथुआ, हीरनखुरी, कृष्णनील, सत्यानाशी प्रमुख हैं. ये पौधे को पनपने नहीं देते हैं जिससे दाना हल्का रह जाता है और क्वालिटी गिर जाती है. जबकि, उत्पादन में भी गिरावट का सामना किसान करते हैं. 

खरपतवार से बचाव के लिए दवा और इस्तेमाल का तरीका 

प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की सलाह के अनुसार ऊपर बताए गए 8 घातक खरपतवारों से बचाव के लिए किसानों को दवा और छिड़काव का तरीका बताया गया है. कृषि एक्सपर्ट के अनुसार चने की बुवाई से पहले किसान 2.2 लीटर फ्लुक्लोटोलिन 45EC की दवा प्रति हेक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर मिट्टी में अच्छी तरह मिलकर बुवाई करें. या फिर पेण्डीमैथिलीन 30EC दवा की 3 से 3.30 लीटर मात्रा बुवाई के 72 घंटे के अंदर लैट फैन नोजल से खेत की मिट्टी पर छिड़काव करें. इन दोनों तरीकों से किसान चने की फसल को खरपतवार से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. 

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