देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई पूरी हो चुकी है. वहीं, कई राज्यों में धान की रोपाई किए लगभग एक महीना से ज्यादा चुका है. लेकिन अब लगातार बदलते मौसम के बीच किसानों के लिए एक समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे में किसान इसकी बचाव के लिए तैयारी में जुट गए हैं, जिससे उनकी धान की पैदावार प्रभावित न हो. दरअसल, धान की फसल में भूरा तना मधुआ कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. इस कीट के आक्रमण को देखते हुए किसान काफी परेशान है क्योंकि इस कीट के लगने से फसलों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में किसान इन दवाओं का उपयोग करके भूरा तना मधुआ कीट से छुटकारा पा सकते हैं.
भूरा तना मधुआ कीट के लक्षण
- भूरा तना मधुआ कीट हल्के–भूरे रंग का होता है, जिसका जीवन चक्र 20 से 25 दिनों तक का होता है.
- यह कीट पौधों के तने के भाग पर बैठकर रस चूसते हैं.
- अधिक रस निकलने की वजह से धान के पौधे पीले पड़ जाते हैं और जगह–जगह पर चटाई नुमा क्षेत्र (यानी पत्तों को चाट जाते हैं) बन जाता है जिसे “हॉपर बर्न” कहते हैं.
- इस कीट का आक्रमण मौसम के उतार–चढ़ाव विशेषकर बारिश के कारण भूमि में नमी से होता है.
- इसके अलावा किसानों द्वारा यूरिया का अधिक मात्रा में उपयोग और पोटाश के कम उपयोग के कारण भी ये कीट धान की फसल में लगता है.
भूरा तना मधुआ कीट से बचाव
- इस समय यह कीट धान की खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है.
- इसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है और किसानों को काफ़ी आर्थिक नुकसान होता है. इसलिए इस कीट का उचित समय पर नियंत्रण करना जरूरी होता है.
- धान का पौधा जब बड़ा होने लगे उस समय खेत में ज़्यादा जल-जमाव नहीं रखना चाहिए
- फसल की नियमित निगरानी करें और कीटनाशक जैसे एसीफेट या इमिडाक्लोप्रिड का निर्धारित मात्रा में और सही समय पर छिड़काव करें.
- एक एकड़ में छिड़काव के लिए 225-250 पानी में कीटनाशक डालकर छिड़काव करें.
- रसायन का छिड़काव प्रभावित क्षेत्र के चारों तरफ लगभग 10 फीट की दूरी तक करें.
इन दवाओं की मदद से करें बचाव
- एसीफेट 75% डब्लू.पी. की 1.25 ग्राम प्रति लीटर.
- एसिटामिप्रिड 20% एस.पी. 0.25 ग्राम प्रति लीटर.
- इथोफेनोप्राक्स 10% ई.सी. 1 मिली. प्रति लीटर.
- क्विनालफॉस 25% ईसी. 2.5 – 3 मिली. प्रति लीटर.
- फिप्रोनिल 05% एस.सी. 2 मिली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं.