Paddy Crop: केरल में धान की खड़ी फसल पर एफिड्स का हमला, किसानों को वैज्ञानिकों ने बताया क्‍या करें

Paddy Crop: केरल में धान की खड़ी फसल पर एफिड्स का हमला, किसानों को वैज्ञानिकों ने बताया क्‍या करें

Aphids attack: एफिड्स का लक्षण यह है कि छोटे भूरे और सफेद कीड़े धान के आधार पर इकट्ठा होते हैं और पौधों से रस चूसते हैं. इससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं.  वैज्ञानिकों ने इसे नियंत्रित करने की कुछ खास विधियां बताई हैं. उनका कहना है कि ये रोग और इसे नियंत्रित करने के उपाय सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि देश के उन सभी हिस्‍सों में अपनाया जा सकता है, जहां पर धान की खेती की जाती है. 

Apphids Attack Apphids Attack
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Sep 15, 2025,
  • Updated Sep 15, 2025, 1:21 PM IST

केरल में धान के किसान इन दिनों खासे परेशान हैं क्‍योंकि यहां पर खेतों में अचानक एफिड्स का हमला हो गया. यहां के अलाथुर जिले में धान के खेतों में एफिड्स का तेज हमलों ने किसानों में नुकसान की आशंकाओं को बढ़ा दिया है. लगातार तेज होते हमलों की वजह से अब वैज्ञानिकों ने किसानों को कुछ खास सलाह भी दी हैं. आपको बता दें कि केरल दक्षिण का वह राज्‍य है जहां पर धान की खेती काफी बड़े स्‍तर पर की जाती है. 

क्‍या हैं इस रोग के लक्षण 

केरल के अलाथुर में धान के खेतों में एफिड्स का हमला तेज हो रहा है.अलाथुर कृषि भवन सीमा के अंतर्गत कट्टासेरी धान के खेत में फसल स्वास्थ्य केंद्र की एक टीम की ओर से हुए सर्वे में पाया गया कि धान की ज्योति किस्म के खेत में एफिड्स का हमला गंभीर था जो सिर्फ दो महीने पुराना है. सर्वे नौशाद नामक किसान के खेत में किया गया था. एफिड्स का लक्षण यह है कि छोटे भूरे और सफेद कीड़े धान के आधार पर इकट्ठा होते हैं और पौधों से रस चूसते हैं. इससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं. 

अगर नहीं किया नियंत्रण तो 

हमला शुरू में एक हिस्से में देखा जाता है लेकिन बाद में यह एक ही बार में बाकी हिस्सों में फैल जाता है. अगर आप धान के पौधों को ध्यान से देखेंगे तो आपको कीड़े उड़ते हुए दिखाई देंगे. इसलिए अगर खेत में पीलापन और झुलसा दिखाई दे तो आपको सावधान रहना चाहिए. नहीं तो हमला तेज हो जाएगा और पूरा धान का खेत सूख जाएगा. 

कैसे करें इस रोग को नियंत्रित 

वैज्ञानिकों ने इसे नियंत्रित करने की कुछ खास विधियां बताई हैं. उनका कहना है कि ये रोग और इसे नियंत्रित करने के उपाय सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि देश के उन सभी हिस्‍सों में अपनाया जा सकता है, जहां पर धान की खेती की जाती है. 

  • अगर खेत में पानी जमा हो, तो उसे निकाल दें. 
  • बहुत ज्‍यादा नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग न करें. 
  • अगर कीट का प्रकोप गंभीर हो तो इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग किया जा सकता है. 
  • चावल के खेत से पानी निकालने के बाद, चावल के पौधों को हटा दें और पौधे के तने पर छिड़काव करें. 
  • पौधों पर थायोमेथोक्सम को 2 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की दर से छिड़कें. 
  • इसकी जगह पर बुप्रोफेजिन (एपोड) को 2 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी की दर से छिड़ सकते हैं.

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