
देशभर में रबी सीजन की फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. इसमें चने की फसल प्रमुख है. ऐसे में चने खेती करने वाले किसानों के लिए उकठा रोग सबसे बड़ी चिंता बन सकता है. यह रोग फसल को किसी भी अवस्था में नुकसान पहुंचा सकता है और कई बार पूरा खेत इसकी चपेट में आ जाता है. उकठा रोग का कारण फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम फफूंद है, जो मिट्टी और बीज दोनों के जरिए फैलती है. अगर समय रहते सावधानी न बरती जाए तो पैदावार पर सीधा असर पड़ता है.
आईसीएआर से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि उकठा रोग की पहचान शुरुआत में खेत के छोटे हिस्सों में होती है. पहले कुछ पौधों की पत्तियां मुरझाने लगती हैं, फिर धीरे-धीरे पौधा पूरी तरह सूख जाता है. जब संक्रमित पौधे की जड़ के पास हल्का चीरा लगाया जाता है तो अंदर काली संरचना दिखाई देती है. यही इस रोग का साफ संकेत है. ऐसे पौधे आगे चलकर फली भी नहीं बना पाते.
इस रोग से बचाव के लिए सबसे पहला कदम सही समय पर बुआई है. किसानों को सलाह दी जाती है कि चने की बुआई अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले सप्ताह तक जरूर पूरी करनी चाहिए. इसके साथ ही बीजोपचार बेहद जरूरी है. बुआई से पहले बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 2 ग्राम थीरम या 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें. यह उपाय रोग के शुरुआती संक्रमण को काफी हद तक रोक देता है.
इसके अलावा रोगरोधी किस्मों का चयन भी फायदेमंद रहता है. देसी चने में पूसा-372, जेजी-11, जेजी-12 और जेजी-16 जैसी किस्में बेहतर मानी जाती हैं. वहीं काबुली चने के लिए पूसा चमत्कार, जवाहर काबुली चना-1, विजय और फूले जी-95311 जैसी किस्में सुरक्षित विकल्प हैं.
पैदावार बढ़ाने के लिए एक आसान ट्रिक यह है कि बुआई के 35 से 40 दिन बाद पौधों की शीर्ष कलिका की हल्की तुड़ाई कर दें. इससे पौधे में ज्यादा शाखाएं निकलती हैं और फलियों की संख्या बढ़ती है. अगर फसल देर से बोई गई है तो शाखा बनने या फली बनने के समय 2 प्रतिशत यूरिया या डीएपी के घोल का छिड़काव करने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है.
इसके साथ ही रबी सीजन की दूसरी फसलों पर भी नजर रखना जरूरी है. देर से बोई गई सरसों में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण समय पर करें. गोभीवर्गीय सब्जियों, मटर और टमाटर में कीटों की निगरानी के लिए खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाएं.
आलू और टमाटर में झुलसा रोग के लक्षण दिखें तो तुरंत अनुशंसित दवाओं का छिड़काव करें. मौसम को देखते हुए पालक, धनिया और मेथी की बुवाई भी इस समय लाभकारी साबित हो सकती है.
इन छोटे लेकिन असरदार उपायों को अपनाकर किसान न सिर्फ चने की फसल को उकठा रोग से बचा सकते हैं, बल्कि कुल पैदावार और मुनाफा भी बढ़ा सकते हैं.