गेंहू और सरसों की बुवाई का वक्त आ गया है. सबसे पहले हम बात करते हैं गेहूं की खेती की. पूसा के वैज्ञानिकों ने इसकी खेती के बारे में एक नई एडवाइजरी जारी की है. जिसमें कहा है कि किसान बुवाई से पहले खेतों में पलेवा करें. उन्नत बीजों और खाद की व्यवस्था करें. पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. वैज्ञानिकों ने गेहूं की उन्नत प्रजातियों की भी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि किसान सिंचित परिस्थिति में एचडी 3226, एचडी 2967, एचडी 3086, एचडी सीएसडब्लू 18, डीबीडब्लू 370, डीबीडब्लू 371, डीबीडब्लू 372 और डीबीडब्लू 327 की बुवाई करें. बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें.
जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफास 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें. नाइट्रोजन,फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. किसानों को सलाह है कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को न जलाएं. क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज्यादा होता है. जिससे सेहत संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है.
पराली जलाने से उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुचती हैं. जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है. जिससे भोजन बनाने में कमी आती है. इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है. किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें. इससे मिट्टी की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है. ऐसा होने से मिट्टी से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है. नमी मिट्टी में संरक्षित रहती है. धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग करें. एक हेक्टेयर के लिए 4 कैप्सूल पर्याप्त है.
मौसम को ध्यान में रखते हुए धान की फसल यदि कटाई योग्य हो गई हो तो कटाई शुरू करें. फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सुखाकर गहाई कर लें. उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सुखा लें. भंडारण के पूर्व दानों में नमी 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई में अब अधिक देरी न करें. मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई पर डालें.
सरसों की बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. सरसों की उन्नत किस्मों में पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31 और पूसा सरसों-32 शामिल हैं. इसके लिए बीज दर 1.5-2.0 किलोग्राम प्रति एकड़ रखें. बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को जान लेंगे तो फिर अंकुरण प्रभावित नहीं होगा. बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है. कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सेंटीमीटर और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सेंटीमीटर दूरी पर बनी पंक्तियों में करें.