चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की ओर से बताया गया कि मेरठ स्थित राज्य चीनी निगम लिमिटेड की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल इकाई में 'बी हैवी' शीरे पर आधारित 60 केएलपीडी क्षमता वाली एक डिस्टलरी लगाने के प्रस्ताव को मंत्री परिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दी है. विभाग का दावा है कि इस परियोजना की स्थापना से क्षेत्रीय किसानों को गन्ना मूल्य का समय से भुगतान होना सुनिश्चित हो जाएगा. परिणाम स्वरूप इस चीनी मिल से मिल क्षेत्र के लगभग 35,000 किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे. साथ ही मिल क्षेत्र में रोजगार के 200 प्रत्यक्ष एवं 1000 अप्रत्यक्ष अवसर भी उपलब्ध होंगे.
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने डिस्टलरी परियोजना के तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया कि यह डिस्टलरी, अब तक उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है. यह 'जीरो लिक्विड डिस्चार्ज' प्रणाली से लैस है. इस कारण इसमें वायु प्रदूषण नियंत्रण से सम्बन्धित मानकों का पालन सुनिश्चित हो सकेगा.
डा भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदूषण रोकने के उपायों के तहत ही इसमें आधुनिक संयंत्रों की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस डिस्टलरी की स्थापना से भारत सरकार की नीति के अनुसार 'इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम' सुगमता पूर्वक आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
डॉ भूसरेड्डी ने बताया कि इस डिस्टलरी की स्थापना से इथेनॉल आदि के विक्रय से चीनी मिल की आय में इजाफा होगा. इससे गन्ना किसानों का भुगतान भी समय से होगा. उन्होंने बताया कि इससे राज्य सरकार तथा भारत सरकार को राजस्व के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 7 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी.
उन्होंने कहा कि यह डिस्टलरी शुरू होने से विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी. इथेनॉल पूरी तरह से इको-फ्रेंडली जैव ईंधन ईधन है. इसके प्रयोग से कार्बन मोनो ऑक्साईड का कम उत्सर्जन होगा. इससे प्रदूषणकारी पैट्रोलियम पर निर्भरता कम होने से पर्यावारण संरक्षण में मदद मिलेगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी.
ये भी पढ़ें- किसानों के लिए बड़ी खबर, अब बारिश से 'खराब' फसल भी MSP पर खरीदेगी योगी सरकार
ये भी पढ़ें- Video- बीमा कंपनी ने माना 100 फीसदी खराब हुई फसल, फिर क्यों नहीं दिया मुआवजा