सब्जियों की नर्सरी में पौधे उगाना एक कला है. इसे सही तरीके से तैयार करने के लिए तकनीकी ज्ञान होना बहुत जरूरी है. स्वस्थ और उन्नत पौधे उगाना आधी फसल उगाने के बराबर है. आपको बता दें, अगर आप सही तरीके से सब्जियों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं तो इससे पौधों को नष्ट होने से भी बचाया जा सकता है. बेहतर देखभाल के लिए इन सब्जियों के पौधों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है, फिर एक महीने बाद उन्हें खेत में बो दिया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस विधि से नर्सरी तैयार करने से पौधे को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
नर्सरी तैयार करने की वैज्ञानिक विधि
- सबसे पहले जरूरत के अनुसार 3 मीटर लंबी (उत्तर-दक्षिण) और 1 मीटर चौड़ी (पूर्व-पश्चिम) और जमीन से 15-20 सेमी ऊंची क्यारियां बनाएं.
- नर्सरी की मिट्टी को फावड़े की सहायता से खोदें या मिट्टी को नरम बनाने के लिए गहरी जुताई करें.
- क्यारी की मिट्टी और बीजों को कैप्टान/थिरम या ट्राइकोडर्मा नामक फफूंदनाशक (क्यारी के लिए 5 ग्राम/वर्ग मीटर और बीज के लिए 3-5 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करें. क्यारी के लिए 25 ग्राम/वर्ग मीटर और बीज के लिए 10-25 ग्राम/किग्रा की दर से ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें.
- बीजों को छिड़ककर बोने की बजाय प्रत्येक बीज को पंक्तियों में बोएं. इसके लिए चौड़ाई के समानांतर (पूर्व-पश्चिम) 5-5 सेमी की दूरी पर पंक्तियां बनाएं और इन पंक्तियों में 2 सेमी की दूरी पर एक-एक बीज बोएं.
- बीज बोने के बाद बीजों को राख या मिट्टी से न ढकें, बल्कि खाद, मिट्टी और रेत (2:1:1) के मिश्रण की पतली परत से ढक दें और क्यारी को पुआल या सूखी घास की पतली परत से ढक दें. इसके बाद स्प्रिंकलर की मदद से क्यारी की सिंचाई करें.
- अंकुरण के बाद तने को लंबा बढ़ने से रोकने के लिए बीज बोने के तीसरे दिन से हर दिन क्यारी का निरीक्षण करते रहें और जैसे ही 50% बीजों में सफेद धागा दिखाई दे, शाम को खरपतवार की परत हटा दें.
- टमाटर के पौधों को लीफ कर्ल या गुरचा (लीफ कर्ल) फैलाने वाले कीट, जिसे सफेद मक्खी कहते हैं, से बचाने के लिए दो फीट की ऊंचाई पर सुरंग जैसी संरचना बनाएं और उसे एग्रोनेट नेट या मलमल के कपड़े से इस तरह ढक दें कि कीटों का प्रवेश बंद हो जाए. क्यारी की हर दिन स्प्रिंकलर की मदद से हल्की सिंचाई करते रहें.
- जैसे ही पौधा 20 दिन का हो जाए, क्यारी की सिंचाई बंद कर दें ताकि पौधा सख्त हो जाए और किसी भी हालत में रोपने के लिए तैयार हो जाए.
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नर्सरी के लिए सही जगह
- नर्सरी क्षेत्र को पालतू पशुओं और जंगली जानवरों से बचाने के लिए अच्छी तरह से बाड़ लगाई जानी चाहिए.
- जिस स्थान पर नर्सरी तैयार की जा रही है, वह पानी वाली जगह के पास और जलभराव से मुक्त होना चाहिए.
- नर्सरी, रोपाई के लिए मुख्य खेत के पास होनी चाहिए.
- दक्षिण-पश्चिम दिशा से आने वाली धूप सबसे उपयुक्त होती है.
- उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
- पौध उगाने के लिए उपजाऊ और स्वस्थ मिट्टी की जरूरत होती है. इसके लिए मिट्टी दोमट से लेकर रेतीली दोमट होनी चाहिए.
- मिट्टी में अच्छे कार्बनिक पदार्थ होने चाहिए. मिट्टी न तो बहुत मोटी होनी चाहिए और न ही बहुत बारीक. मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के आसपास होना चाहिए.