
बिहार के किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों से सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने ‘फार्म मशीनरी बैंक योजना’ को तेज गति से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है. कृषि विभाग की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत किसानों को 80 प्रतिशत तक का अनुदान देकर खेतों में हाईटेक मशीनरी उपलब्ध कराई जाएगी.
सरकार का कहना है कि खेती में बढ़ती लागत और श्रमिकों की कमी को देखते हुए मशीनीकरण अब ग्रामीण कृषि प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसी उद्देश्य से वर्ष 2025-26 में राज्य के अलग-अलग प्रखंडों में कुल 5,669 फार्म मशीनरी बैंक बनाए जाएंगे.
फार्म मशीनरी बैंक ऐसी सामुदायिक सुविधा है जहां किसान एक ही स्थान से आधुनिक कृषि यंत्रों को किराये पर ले सकेंगे. राज्य सरकार ने बताया कि हर मशीनरी बैंक को स्थापित करने के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है. इसमें ट्रैक्टर, रीपर, रोटावेटर, थ्रेशर, मल्चर, सीड ड्रिल, पावर वीडर, स्प्रेयर, जीरो-टिल मशीन सहित कई आधुनिक उपकरण शामिल हैं.
किसानों को मशीनरी बैंक बनाने पर
इस योजना का मकसद छोटे और सीमांत किसानों को ऐसी तकनीक उपलब्ध कराना है, जिसे वे व्यक्तिगत रूप से खरीद नहीं पाते.
कृषि विभाग ने बताया कि योजना के तहत आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वीकार किए जा रहे हैं. आवेदन के बाद चयनित किसानों/समूहों को मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए मंजूरी और अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा.
सरकार का कहना है कि इस योजना के जरिए कृषि उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने और किसानों की आय में वास्तविक इजाफा करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और कृषि उपकरणों की उपलब्धता में भी सुधार होगा.
बिहार के किसानों में मशीन का प्रचलन बढ़ाने के लिए सरकार और भी कई योजना चला रही है. इसमें किसानों को सब्सिडी देकर मशीन खरीदने या किराये पर लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. किसान इस सब्सिडी योजना का फायदा भी उठा रहे हैं. बिहार में कृषि मशीन की कंपनियां भी अपना काम बढ़ाने पर जोर दे रही हैं. इन कंपनियों को सरकार की तरफ से सहायता दी जा रही है ताकि वे सस्ते उपकरण मुहैया करा सकें.
मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना जैसी दूसरी स्कीमें मोटर पंप जैसी खास चीजों पर सब्सिडी देती हैं, जिनकी दरें हॉर्सपावर और बेनिफिशियरी की कैटेगरी के आधार पर 50%, 70% और 80% होती हैं.