फसल कटने के बाद बड़ी मात्रा में फसल अवशेष खेतों में ही रह जाता है. जिसका प्रयोग कर किसान पशुओं के चारे का प्रबंध कर सकते हैं. ऐसे में किसान अक्सर कृषि यंत्रों की मदद लेते हैं ताकि कम समय में पशुओं के लिए फसल अवशेषों से भूसा बनाया जा सके. इन मशीनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इनके प्रयोग से पराली की समस्या का समाधान करने के लिए फसल के बचे हुए अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य किया जाता है ताकि इसे पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जा सके. इस तरह इन कृषि यंत्रों से पराली की समस्या का समाधान हो जाता है. साथ ही पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध हो जाता है. आइए जानते हैं भूसा बनाने वाले कृषि यंत्रों के बारे में:
रीपर बाइंडर मशीन को फसलों की कटाई के लिए तैयार किया गया है. यह मशीन फसलों को काटने के साथ-साथ फसलों का बंडल भी बनाता है ताकि किसानों को उसे एक जगह से दूसरे जगह ले जानें में कोई दिक्कत ना हो. इस मशीन की सहायता से खेत से 5 से 7 सेमी ऊपर फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है. इस मशीन के कारण आसानी से फसलों के अवशेषों से भूसा बनाया जा सकता है. इससे भूसे का कोई नुकसान भी नहीं होता है. इस यंत्र के द्वारा गेहूं, जौ, धान, जई के साथ ही 85 सेमी से 110 सेमी ऊंचाई वाली अन्य फसलों को आसानी से काटकर बंडल बनाया जा सकता है.
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रीपर बाइंडर का उपयोग तब किया जाता है जब फसल की कटाई के लिए मजदूरों की कमी होती है. रीपर बाइंडर मशीन के उपयोग से समय, धन और मजदूरी की बचत होती है. रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ में खड़ी फसल को काट सकती है. इस मशीन के जरिए फसल काटने के साथ-साथ उनकी गठरी भी बनाई जा सकती है. इससे खेतों में उगी झाड़ियों की कटाई भी आसानी से की जा सकती है. इस मशीन में एक छोटी सी टाई लगाकर 5 क्विंटल तक भार ढोया जा सकता है. रीपर बाइंडर मशीन के प्रयोग से भूसे का कोई नुकसान नहीं होता है. रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान है. यह यंत्र टिकाऊ है और लंबे समय तक चलता है.
स्ट्रॉ रीपर मशीन एक ही समय में तीन तरह के काम आसानी से करने में सक्षम है. इस मशीन की मदद से स्ट्रॉ या भूसी को काटा जा सकता है, इस मशीन की मदद से थ्रेश करना यानी फसलों को साफ किया जा सकता है. इतना ही नहीं ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर उपयोग किए जाने पर स्ट्रॉ रीपर असाधारण प्रदर्शन और कम ईंधन खपत देता है. पराली काटने वाले कृषि यंत्रों का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि आज के समय में किसानों को फसल अवशेष, ठूंठ आदि जलाने की सजा दी जा रही है. साथ ही पराली जलाने से पर्यावरण को भी अधिक नुकसान हो रहा है. इस मशीन पर कई राज्य सरकारों की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जाता है.