आधुनिक कृषि में तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. तकनीक की सहायता से कृषि पद्धतियों के विभिन्न पहलुओं में क्रांति भी लाई जा सकती है और लाई भी गई है. आधुनिक तकनीक की मदद से किसान न केवल बीमारियों का पता लगा सकते हैं, बल्कि उस बीमारी को कैसे ठीक किया जाए इसका समाधान भी आज के समय में तकनीक के पास मौजूद है. तकनीक कृषि क्षेत्र में दक्षता, उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाती है. टेक्नोलॉजी न सिर्फ कृषि कार्यों को आसान बनाने का काम कर रही है, बल्कि लोगों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है. आज से लेकर कुछ दशक पहले तक फसल में रोग लगने की आशंका किसानों के मन में हमेशा बनी रहती है.
लेकिन आज तकनीक की मदद से किसान समय रहते बीमारी का पता लगा सकते हैं और उसका सही इलाज कर फसल को बर्बाद होने से भी बचा सकते हैं. इसी कड़ी में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा पैच विकसित किया है जिसकी मदद से किसान फसलों में होने वाली बीमारी का पता पहले लगा सकते हैं. क्या है पूरी खबर आइए जानते हैं.
नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक इलेक्ट्रॉनिक पैच विकसित किया है जिसे पौधों की पत्तियों पर विभिन्न बीमारियों - जैसे वायरल और फंगल संक्रमण- और सूखे या खारापन का पता लगाया जा सकता है. परीक्षण में, शोधकर्ताओं ने पाया कि पैच टमाटर में वायरल संक्रमण का पता लगाने में सफल था. इस तकनीक के माध्यम से किसानों को एक सप्ताह से अधिक समय पहले बीमारी के किसी भी लक्षण का पता चल जाएगा.
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यह तकनीक किसानों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जितनी जल्दी किसानों को पौधों की बीमारियों या फंगल संक्रमण की के बारे में पता चलेगा उतनी जल्दी किसान उन बीमारियों का रोकथाम कर पाएंगे. इस तकनीक की मदद से ना सिर्फ फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है बल्कि किसानों हो होने वाले आर्थिक नुकसान को भी कम किया जा सकता है. इस पैच में सेंसर भी लगाया गया है. सेंसर का काम तापमान, पर्यावरण में मौजूद ह्यूमिडिटी और पौधों द्वारा उनकी पत्तियों के माध्यम से 'निकास' की जाने वाली नमी की मात्रा की निगरानी करता है. ताकि जल्द से जल्द होने वाली बीमारियों का पता लगाया जा सके.
यह पैच केवल 30 मिलीमीटर लंबे, सेंसर और सिल्वर नैनोवायर-आधारित इलेक्ट्रोड युक्त लचीली सामग्री से बने होते हैं। पैच पत्तियों के नीचे की तरफ लगाए जाते हैं, जिनमें पत्तों की धारियां अधिक होती है. पत्तियों के माध्यम से पौधों में हो रही सभी गतिविधियों पर ध्यान रखा जाता है.