फैशन इंडस्ट्री में तहलका मचाएगा केले का रेशा, तैयार होंगे ब्रांडेड प्रोडक्ट

फैशन इंडस्ट्री में तहलका मचाएगा केले का रेशा, तैयार होंगे ब्रांडेड प्रोडक्ट

केले के तने और उनके छिलके में प्राकृतिक फाइबर पाया जाता है. जिसका गहनों से लेकर कपड़ों को तैयार करने के लिए किया जा रहा है.  केले के रेशे से बुने कपड़े फैशन की दुनिया में धूम मचा सकते हैं. इस काम को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय केला अनुसंधान संस्थान (एनआरसीबी) शोध कार्य में जुटा है.

केले के रेशे से बनेंगे कपड़ेकेले के रेशे से बनेंगे कपड़े
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 08, 2024,
  • Updated Jan 08, 2024, 12:59 PM IST

अब तक हमने केले का कई तरह से इस्तेमाल होते देखा या सुना है. केले या केले के तने का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि केले के रेशों का इस्तेमाल अब फैशन इंडस्ट्री में भी होने लगा है. वो भी अलग-अलग तरह के कपड़े तैयार करने में. जो केला अब तक खाने के काम आता था, अब इसका उपयोग ब्रांडेड उत्पाद तैयार करने में भी किया जा रहा है. जिसका सीधा असर केले की खेती करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति पर दिखेगा. आइए जानते हैं केले के रेशे से कैसे तैयार होंगे ब्रांडेड उत्पाद...

फैशन इंडस्ट्री में जल्द मचेगा तहलका

केले के तने और उनके छिलके में प्राकृतिक फाइबर पाया जाता है. जिसका गहनों से लेकर कपड़ों को तैयार करने के लिए किया जा रहा है.  केले के रेशे से बुने कपड़े फैशन की दुनिया में धूम मचा सकते हैं. इस काम को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय केला अनुसंधान संस्थान (एनआरसीबी) शोध कार्य में जुटा है. इसके लिए तो संस्थान ने बकायदा मुंबई स्थित केंद्रीय कपास तकनीक संस्थान से समझौता किया है. उम्मीद है कि इस दिशा में किए जा रहे प्रयास जल्द ही रंग लाएंगे. रेशे गलाने की प्रक्रिया में सुधार कर उम्दा क्वालिटी के रेशों का उत्पादन करने के लिए एनआरसीबी और केंद्रीय कपास तकनीक संस्थान साथ-साथ मिलकर काम करेगा. केले के रेशों में गैर-हानिकारक रसायनों को मिलाकर लंबे और मजबूत रेशे तैयार करने की दिशा में काम चल रहा है.

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केले के रेशे से बन रहे हैं कपड़े!

वहीं रेशम नगरी भागलपुर में भी अब केले के थंब से निकले रेशे से कपड़े बनाये जा रहे हैं. इस तरह से तैयार किए गए कपड़े नाइजीरिया और केन्या के लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. बंगाल, यूपी, दिल्ली और हैदराबाद से भी ऐसे कपड़ों की मांग है. लेकिन विदेशों में ज्यादा कपड़े बिक रहे हैं. हबीबपुर मोमिनटोला, हुसैनाबाद नयाटोला, शाहजंगी, बदरपुर, पुरैनी आदि जगहों पर 50 से अधिक बुनकर हथकरघा पर केले के रेशे के धागे से कपड़े तैयार कर रहे हैं. साथ ही इस रोजगार में 500 से अधिक महिलाएं भी जुड़ी हैं, जो रेशे काटकर धागा तैयार कर रही हैं.

केले के रेशे के गुण

  • भीतरी परत रेशम की तरह मुलायम होती है.
  • बाहरी परत बर्लेप या कपास की तरह खुरदरी होती है.
  • रेशमी आंतरिक रेशा बहुत नाजुक होता है.
  • साथ ही, रेशम की तुलना में इसका उत्पादन अक्सर अधिक महंगा होता है.
  • चूंकि रेशम पहले से ही ग्रह के सबसे टिकाऊ फाइबर में से एक है, इसलिए केले के फाइबर की दुनिया भर में अधिक मांग नहीं है.

कैसे बनता है केले का रेशा से कपड़ा?

सबसे पहले, केले के छिलके और तने के रेशों को अलग किया जाता है. इस रेशे को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें रेटिंग भी शामिल है. जिसमें रेशों को नरम करने और अलग करने के लिए केले के छिलकों को पानी या किसी रासायनिक पदार्थ में भिगोया जाता है. केले के छिलके के अनुपयोगी हिस्सों को भी काटा जा सकता है, लेकिन यह तरीका अधिक मेहनत वाला है. एक बार जब अलग-अलग रेशे प्राप्त हो जाते हैं, तो उन्हें एक साथ इकट्ठा किया जाता है और सुखाया जाता है. इस स्तर पर, आंतरिक और बाहरी रेशों को आमतौर पर एक साथ रखा जाता है.

क्योंकि गीले होने पर उन्हें अलग करना मुश्किल होता है. एक बार सूख जाने पर, रेशों को गुणवत्ता के आधार पर समूहों में अलग कर दिया जाता है. "ए" समूह में सबसे अच्छे से सर्वश्रेष्ठ रेशे शामिल होते हैं, और इसका उपयोग रेशम-वैकल्पिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है. कुछ निर्माताओं के पास केवल दो समूह हो सकते हैं, लेकिन अन्य विभिन्न प्रकार के केले फाइबर ग्रेड का उत्पादन कर सकते हैं. अलग किए गए रेशों को फिर सूत में पिरोया जाता है. धागे का उपचार और रंगाई की जाती है, और इसे वस्त्र, सहायक उपकरण, सजावट की वस्तुओं या औद्योगिक उत्पादों में बुना जाता है.

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