AI Farming: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) आने वाले समय में गन्ना किसानों के लिए बड़े फायदे की वजह बन सकती है. भारत में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती होती है. हालांकि महाराष्ट्र में गन्ने की खेती बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा होतीर है. अब यहां पर गन्ने की खेती में एआई का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और जो काफी हद तक सफल भी हो रहा है. एआई के प्रयोग से गन्ने की खेती में पानी की जरूरत 50 फीसदी तक कम हो सकती है और प्रति एकड़ उत्पादन में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. महाराष्ट्र में इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने इस बात की खास जानकारी दी है.
हाल ही में पुणे में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की मौजूदगी में एक मीटिंग हुई थी. इसमें गन्ने की खेती में एआई के इस्तेमाल पर चर्चा की गई थी. वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट और कृषि विकास ट्रस्ट के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को साइन किया गया था. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि यह टेक्नोलॉजी ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचे. महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन लिमिटेड के डायरेक्टर जयप्रकाश दांडेगांवकर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से एक खास बातचीत में कहा, 'माइक्रोसॉफ्ट पहले से ही गन्ने की खेती के लिए एआई के इस्तेमाल पर लंबे समय से काम कर रहा है. गन्ने के उत्पादन में 30 फीसदी की वृद्धि और इसकी खेती में पानी के इस्तेमाल को आधा करने का भरोसा माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से दिया जा रहा है.'
दांडेकर ने कहा कि इससे चीनी मिलों को लंबे समय यानी 110 दिनों से ज्यादा दिनों तक चलाने में मदद मिलेगी और नुकसान भी कम होगा. उन्होंने जानकारी दी कि महाराष्ट्र की 40 जिसमें 23 सहकारी और 17 निजी मिलें, शुगर मिल्स जिन पर वीएसआई का कोई कर्ज नहीं है, उन्हें इस प्रोजेक्ट (गन्ने की खेती में एआई के इस्तेमाल) में शामिल किया जाएगा. पूर्व राज्य मंत्री ने कहा कि दो किलोमीटर के दायरे में गन्ना उगाने वाले 25 किसानों के समूह के पास एक स्टेशन (ऑटोमैटिक एआई फैसिलिटी) होगा, जो कृषि विज्ञान केंद्र और वीएसआई के वॉर रूम को रिपोर्ट करेगा. एक किसान को खर्च के लिए शुरुआत में 25,000 रुपये की राशि की जरूरत हो सकती है.
दांडेकर की मानें तो वॉर रूम कुछ ही सेकंड में इन किसानों को खेती के दौरान उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अलर्ट कर देगा. उनका कहना था कि यह टेक्नोलॉजी पूर्वानुमान, मिट्टी की जांच, पानी के अलर्ट, कीटनाशकों के इस्तेमाल को सीमित करने और मिट्टी के पोषक तत्वों की सुरक्षा पर काम करेगी. दांडेगांवकर ने बताया कि महाराष्ट्र में गन्ने का उत्पादन कम हुआ है. कम बारिश के कारण राज्य में प्रति एकड़ उत्पादन घटकर 73 टन रह गया है. लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि एआई का प्रयोग उपयोग निश्चित तौर पर आने वाले समय में उत्पादन कम से कम 150 टन प्रति एकड़ तक पहुंचने में मदद कर सकता है.
किसानों को इसके लिए (सिंचाई के लिए) अपने खेतों में ड्रिप लगाने की जरूरत है. दांडेकर को उम्मीद है कि अगस्त के अंत या सितंबर के पहले हफ्ते तक इस तरह का पहला स्टेशन (ऑटोमैटिक एआई फैसिलिटी) स्थापित हो जाएगा और चालू हो जाएगा. महाराष्ट्र में गन्ने की खेती करने वाले किसानों को 'अमीर किसान' की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि कहते हैं कि उन्हें अपनी फसल का अच्छा खासा दाम हासिल होता है. पुणे, सतारा, सांगली, सोलापुर और कोल्हापुर जैसे जिले में किसान गन्ना उगाते हैं. जबकि अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, जालना जैसे बाकी जिलों में भी इस नकदी फसल की खेती की जाती है.
यह भी पढ़ें-