कृषि विशेषज्ञों ने भारत की बढ़ती खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लक्ष्य को बढ़ाने के लिए हाइब्रिड तकनीक को तेजी से अपनाने की अपील की है. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा कि हाइब्रिड तकनीक को सिर्फ पैदावार बढ़ाने से कहीं आगे की भूमिका निभानी होगी. 8 जनवरी को नई दिल्ली में "बढ़ी हुई फसल उत्पादकता के लिए हाइब्रिड तकनीक" पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए, पीके मिश्रा ने कहा कि किसानों की ओर से हाइब्रिड तकनीक को अपनाने से अर्थव्यवस्था का विकास होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आय में वृद्धि के माध्यम से कृषि में बदलाव भी आना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि गरीबी को कम करना बहुत जरूरी है और कृषि की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है.
प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा कि 2014 से कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो 2017 और 2023 के बीच कृषि में 5 प्रतिशत की वृद्धि के कारण है. उन्होंने कहा जब पशुपालन की वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत और मछली पालन में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन कृषि में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
उन्होंने कहा कि 1967 से कृषि जीडीपी में अपेक्षा के अनुसार बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जीडीपी में कृषि का योगदान 1969 में 42 प्रतिशत से घटकर 2023 में 18 प्रतिशत हो गया है. हालांकि, कृषि पर निर्भरता में मामूली गिरावट आई है, लेकिन यह अभी भी 37 प्रतिशत के बराबर है. वहीं, 2050 का विज़न दिखाता है कि कृषि जीडीपी में 7 प्रतिशत का योगदान देगी. साथ ही वर्तमान में 146 मिलियन छोटे पैमाने की जोत यानी 5 एकड़ से कम जोत वाले वाले किसानों कि 168 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है. इसलिए असमानताएं जारी रहेंगी और इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
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चूंकि इस अवधि के दौरान छोटे किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है, इसलिए हमें उनकी आय और जीवन को बेहतर बनाने के लिए पांच परिवर्तन वाले पॉइंट पर ध्यान देने की जरूरत है. 1 बागवानी, पशुपालन और मछली पालन पर अधिक ध्यान, 2 ऐसी तकनीक का उपयोग जो छोटे किसानों की मदद करती हो, 3 अधिक लाभदायक फसलों के लिए फसल विविधीकरण, 4 फसल उत्पादकता में वृद्धि और 5 किसानों की गैर-फसल आय में वृद्धि.
हाइब्रिड अनुसंधान को ऐसे उत्पाद तैयार करने होंगे जिनकी उत्पादकता (ओपी) अन्य किस्मों की तुलना में अधिक हो. चावल, दलहन और तिलहन को हाइब्रिड अनुसंधान में उच्च प्राथमिकता की आवश्यकता है, विशेष रूप से हमें हाइब्रिड अरहर को बाजार में लाने और इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. इससे दालों में उपलब्धता के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी. इसी तरह तिलहन में भी, हमें हाइब्रिड का उपयोग करके उत्पादकता बढ़ानी चाहिए. यह देश के लिए जरूरी है.
पीके मिश्रा ने कहा कि हाइब्रिड छोटे किसानों के लिए किफायती होने चाहिए. यदि शोध किसानों को हाइब्रिड बीजों को एक मौसम से दूसरे मौसम तक बचाने में सक्षम बना सकते हैं, जैसा कि वे और फसलों के साथ करते हैं, तो यह किसानों की आय बढ़ाने में एक बड़ा वैज्ञानिक योगदान होगा.
इस बीच, संगोष्ठी को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में से, आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक और टीएएएस के वर्तमान अध्यक्ष, आरएस परोदा ने सीधी बिजाई पर पर जोर दिया और कहा कि संकर फसलें बहुत अच्छे अवसर प्रदान करती हैं, लेकिन अच्छी क्वालिटी वाले बीज तक पहुंच बनाना महत्वपूर्ण है. उन्होंने हाइब्रिड बीज विकास पर राष्ट्रीय मिशन बनाने की मांग की.
परोदा ने यह भी कहा कि आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों पर स्पष्ट नीति की आवश्यकता है, बीज उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और बीज की बिक्री पर जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए. हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जब तक वैज्ञानिकों की आपत्तियों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक जीएम फसलों को वाणिज्यिक रूप से जारी करने की कोई योजना नहीं है.