देश में प्राकृतिक रबर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें देश की कई नामी कंपनियां बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. इस खेती को बढ़ावा देने के लिए देश के पूर्वोत्तर राज्यों में INROAD नाम का प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट का पूरा नाम है-इंडियन नेचुरल रबर ऑपरेशन्स फॉर असिस्टेड डेवलपमेंट. इस प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है. इस सहायता की मदद से किसानों को प्राकृतिक रबर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
इनरोड प्रोजेक्ट के लिए दिए गए 100 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद से पूर्वोत्तर के इलाकों में नेचुरल रबर की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. यह प्रोजेक्ट टायर कंपनियों की मदद से चलाया जा रहा है जो पूर्वोत्तर के अलावा पश्चिम बंगाल में भी लागू है. इनरोड प्रोजेक्ट को चलाने वाले टायर संगठन का नाम ATMA यानी ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन है. इस संगठन में अपोलो, सीएट, जेके और एमआरएफ जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट में रबर बोर्ड ऑफ इंडिया भी हिस्सेदार है.
एटीएमए के चेयरमैन और सीएट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अर्नब बनर्जी ने प्रोजेक्ट इनरोड को एक अच्छा प्रयास बताया, जिसमें टायर इंडस्ट्री सीधे तौर पर रबर के बागानों को बढ़ाने में शामिल है. पिछले चार साल में, इस पहल ने 94 जिलों में 1,25,272 हेक्टेयर में रबर के बागानों का विस्तार किया है, जो इस समय सीमा के भीतर भारत में सबसे महत्वपूर्ण बागान विस्तार में से एक है.
इस प्रोजेक्ट में किसानों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के लिए प्राकृतिक रबर की क्वालिटी में सुधार को भी प्राथमिकता दी गई है. डिजिटल मॉड्यूल सहित ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं, जबकि मॉडल स्मोकहाउस और प्रोसेसिंग सेंटर जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना की जा रही है. असम के गोलपारा जिले में पहले मॉडल स्मोकहाउस के उद्घाटन के साथ इस पहल के तहत एक बड़ा काम शुरू कर दिया गया है.
इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट ने छोटे जोत वाले किसानों को 5.3 करोड़ पौधे दिए हैं, जिससे टिकाऊ खेती पद्धतियों को बढ़ावा मिला है. इन पौधों को किसान लगाकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे. बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि यह परियोजना वैश्विक स्तर पर पहली बार है, जिसमें टायर उद्योग अपने कच्चे माल के विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है.
प्रोजेक्ट इनरोड का उद्देश्य न केवल आयातित रबर पर भारत की निर्भरता को कम करना है, बल्कि स्थानीय किसानों को ऊपर उठाते हुए टायर निर्माताओं के लिए सप्लाई चेन को मजबूत करना भी है.
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