कैसे मॉर्डन टेक्निक्‍स से बढ़ रहा है कपास का उत्‍पादन, मददगार साबित हो रही है यह एप

कैसे मॉर्डन टेक्निक्‍स से बढ़ रहा है कपास का उत्‍पादन, मददगार साबित हो रही है यह एप

आज के दौर में कपास की खेती में कई ऐसी आधुनिक तकनीकें अपनाई जा रही हैं जो उत्पादन और टिकाऊपन दोनों को बढ़ाने में सफल रही हैं. फार्मोनॉट जैसे सैटेलाइट बेस्‍ड एप फसल की  निगरानी में मदद करते हैं. इससे किसानों को फसलों की सेहत, मिट्टी की नमी, और उपज का रीयल टाइम अपडेट मिलता है. एआई बेस्‍ड यह टेक्‍नोलॉजी लागत को कम करने में मददगार है.

कृषि विशेषज्ञ 'व्‍हाइट गोल्‍ड' कहते हैं कृषि विशेषज्ञ 'व्‍हाइट गोल्‍ड' कहते हैं
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 11, 2025,
  • Updated May 11, 2025, 7:21 PM IST

कपास को भारत में कुछ कृषि विशेषज्ञ 'व्‍हाइट गोल्‍ड' यानी सफेद सोने के तौर पर भी करार देते हैं. यह भारत का कुछ महत्‍वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है. कपास वह फसल है जो न केवल अर्थव्‍यवस्‍था का आधार है बल्कि खेती को भी मजबूती देती है. साथ ही साथ टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री को भी कच्‍चा माल मुहैया कराती है. आपको बता दें कि भारत दुनिया का दूसरे नंबर का देश है जहां पर कपास का उत्‍पादन सबसे ज्‍यादा होता है. दुनिया के कुल कपास उत्‍पादन का 25 फीसदी भारत में पैदा होता है. नए जमाने में बदलती हुई मॉर्डन टेक्निक्‍स के साथ अब देश में कपास का उत्‍पादन भी बढ़ता जा रहा है. 

बड़े पैमान पर होती खेती 

कपास की फसल में 60 लाख से ज्‍यादा किसान लगे हुए हैं. इसके अलावा ट्रेड और प्रोसेसिंग में भी कई लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. देश में गुजरात, महाराष्‍ट्र, पंजाब, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है. आज कपास की खेती में जलवायु से लेकर मिट्टी और सीड ट्रीटमेंट तक का धयान रखा जाता है. कपास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु को सबसे सही करार दिया गया है. 21 से 27 डिग्री सेल्सियस के तापमान में यह फसल अच्‍छी होती है. 

मिट्टी और पानी का खास ख्‍याल 

इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में को सबसे अच्‍छा माना गया है. कालीमिट्टी, दोमट मिट्टी, और मिली-जुली लाल मिट्टी इसकी खेती के लिए आदर्श हैं. इसकी खेती के लिए सही मिट्टी 6 से 8 पीएच के बीच मानी गई है. ध्‍यान रहे कि अगर खेतों में पानी भरा रह गया तो फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए पानी का निकलना जरूरी है. भारत में, उत्‍तर भारत की गहरी नदी किनारे की मिट्टी, मध्य भारत की काली मिट्टी के अलावा दक्षिण भारत की मिश्रित मिट्टी कपास की खेती के लिए उपयुक्त है. 

एप से मिलती किसानों को मदद 

आज के दौर में कपास की खेती में कई ऐसी आधुनिक तकनीकें अपनाई जा रही हैं जो उत्पादन और टिकाऊपन दोनों को बढ़ाने में सफल रही हैं. फार्मोनॉट जैसे सैटेलाइट बेस्‍ड एप फसल की  निगरानी में मदद करते हैं. इससे किसानों को फसलों की सेहत, मिट्टी की नमी, और उपज का रीयल टाइम अपडेट मिलता है. एआई बेस्‍ड यह टेक्‍नोलॉजी लागत को कम करने में मददगार है. इसके अलावा इस एप की मदद से किसानों को मिट्टी की नमी के स्तर का पता लगता है. फिर उसके आधार पर पानी के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाती है. 

वहीं एप की मदद से किसानों को उर्वरक के उपयोग, वेस्‍ट मैनेजमेंट और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में काफी जानकारियां मिलती हैं. किसान मिट्टी के टाइप के आधार पर नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाशियम का सटीक प्रयोग करके फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने में सफल हो सकते हैं. 

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