भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में अगली हरित क्रांति आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के जरिए आएगी. शेरपा ने कहा कि कृषि क्षेत्र के सामने जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती है. इससे निपटने के लिए एक डेटा आधारित, अत्याधुनिक कृषि व्यवस्था अनिवार्य है, इसके लिए कृषि के विभिन्न प्लेटफार्मों जिसमें आधुनिक बुवाई, सिंचाई और खाद, पानी से लेकर अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए जी-20 देशों को मिलकर काम करना चाहिए. इतना ही नहीं सदस्य देशों को मिलकर एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो टिकाऊ और सबके लिए सामान्य रुप से लाभप्रद हो.
अमिताभ कांत सोमवार को दिल्ली में आयोजित जी-20 एग्रो टेक समिट-2023 को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा लोग कृषि पर आधारित हैं. ऐसे में ड्रोन से लेकर ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाकर आगे बढ़ना होगा. भारत की अध्यक्षता में हो रही इस साल की जी-20 प्रेसिडेंसी की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में कृषि भी है. इस समिट में कई कृषि स्टार्टअप ने हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि किसानों को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें: Basmati Rice Export: क्या भारत के इस फैसले का पाकिस्तान उठाएगा फायदा?
इसके लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना चाहिए. ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए जो कि किसानों के लिहाज से किफायती और उपयोग में आसान हो. इस समिट के दौरान यूएई की दस कंपनियों ने भारत की विभिन्न कंपनियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ मिलकर काम करने की पहल पर मुहर लगाई. सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के समाधान और टेक्नोलॉजी के उपयोग पर विस्तार से चर्चा की गई. इन चर्चाओं में नीति निर्माता, उद्योग विशेषज्ञ और स्टार्टअप शामिल रहे.
समिट में खेती किसानी के नए आयामों पर चर्चा की गई. देश के कृषि ढांचे में आ रहे सकारात्मक बदलावों पर चर्चा हुई. इस मौके वा इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डी. दत्ता ने कहा कि इस समय देश में किसानों की सहायता के लिए देश और विदेश के 10 से ज्यादा सैटेलाइट काम कर रहे हैं. सैटेलाइट किसानों का जीवन आसान बना सकता है. उससे फसलों का आकलन आसान होगा. फसल बीमा का क्लेम लेना आसान होगा. मौसम के पूर्वानुमान से लेकर फसल की गुणवत्ता तक का पता लगाया जा सकेगा. तटीय इलाकों में मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए सटीक जानकारी के साथ पल-पल की जानकारी सैटेलाइट के जरिए मिलरही है. साथी ही बागवानी क्षेत्र को भी आगे बढ़ाने के लिए पहल हो रही है.
इसे भी पढ़ें: कभी ताइवान ने की थी मदद...आज भारतीय चावल के बिना अधूरी है 150 देशों की थाली