किसानों के लिए खेतीबाड़ी में डीजल का खर्चा कुल लागत का सबसे बड़ा हिस्सा होता है. अधिकतर किसान बुवाई के लिए खेत बनाने से लेकर कटाई और माल बिक्री तक के लिए डीजल जलाते हैं. इसलिए ये बहुत जरूरी हो जाता है कि किसानों को ट्रैक्टर से जितना संभव हो सके उतना डीजल बचाने की तरकीबें पता होनी चाहिए. कुछ किसान तो अच्छे माइलेज वाले ट्रैक्टर ले भी लेते हैं, मगर सही तौर-तरीका पता ना होने की वजह से डीजल की खपत कम नहीं कर पाते हैं. अब खरीफ सीजन की फसलों का कम चल रहा है और इसलिए हम आपको ट्रैक्टर से अधिकतम माइलेज कैसे लेना है और कैसे आप डीजल की बचत कर सकते हैं, इसको लेकर कुछ काम के हैक्स बता रहे हैं.
अगर आपका ट्रैक्टर साधारण लोड देने पर भी काला धुआं दे रहा है या फिर लोड देते वक्त मिसिंग करने के लक्षण दिखा रहा है. तो ये फ्यूल इंजेक्टर में समस्या का संकेत हो सकते हैं. इसके अलावा अगर ट्रैक्टर का पिकअप घट रहा हो या इंजन कंपन ज्यादा कर रहा है तो भी फ्यूल इंजेक्टर की दिक्कत हो सकती है. अगर ऐसा है तो इंजन के अंदर डीजल सही से नहीं जल पा रहा होगा और जाहिर है कि ईंधन की बर्बादी होगी, जिससे ट्रैक्टर का माइलेज गिरेगा. इसलिए जब भी आपको ऐसे कुछ संकेत दिखें तो बिना लापरवाही किए इसके फ्यूल इंजेक्टर चेक कराएं. अगर इस काम में लापरवाही की तो डीजल की खपत भी बढ़ेगी और इंजन भी खराब होगा.
दरअसल, PTO शाफ्ट ट्रैक्टर के पीछे होती है और अधिकतर किसान इसपर कवर भी कस देते हैं. ऐसे में अगर कभी गलती से PTO शाफ्ट का लीवर चालू रह जाता है तो PTO शाफ्ट घूमती रहेगी और आपको पता भी नहीं लगेगा. इससे ट्रैक्टर के इंजन पर गैरजरूरी लोड बढ़ेगा और माइलेज भी काफी गिर जाएगा. बता दें कि PTO ट्रैक्टर में वो शाफ्ट होती है जो इंजन की क्रैंक से जुड़ी होती है. इस पीटीओ शाफ्ट से खेती के उपकरण जैसे- थ्रेशर, रोटावेटर, वाटर पंप और स्प्रे मशीन आदि जैसे इंप्लीमेंट चलाए जाते हैं. इसलिए अगर कोई इंप्लीमेंट नहीं चला रहे हैं तो हमेशा पीटीओ शाफ्ट बंद करके रखें. कम ही लोगों को पता है कि अगर PTO का सही से इस्तेमाल किया जाए तो 15% से 20% तक डीजल की बचत हो सकती है.
ये बहुत छोटी मगर काम की बात है. जब भी आप खेत में जुताई या बुवाई कर रहे हों तो ट्रैक्टर हमेशा खेत की चौड़ाई में चलाने की बजाय लंबाई में चलाएं. जब भी आप खेत में ट्रैक्टर चौड़ाई में चलाएं तो खेत की मेड़ जल्दी-जल्दी आएगी और उतना ही जल्दी-जल्दी आपको ट्रैक्टर घुमाना पड़ेगा. ऐसे में डीजल की खपत अधिक होती है. वहीं अगर आप ट्रैक्टर को खेत की लंबाई में चलाएंगे तो उसी खेत को जोतने के लिए कम से कम बार ट्रैक्टर मोड़ना पड़ेगा. ऐसा करने से डीजल की काफी बचत होती है.
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