अब बिना ड्राइवर के चलेगा यह ट्रैक्‍टर, विदेश से लौटे युवा ने पेश की ये खास तकनीक

अब बिना ड्राइवर के चलेगा यह ट्रैक्‍टर, विदेश से लौटे युवा ने पेश की ये खास तकनीक

Driverless Tractor: हरियाणा के करनाल के युवा किसान बीर विर्क ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तीन ट्रैक्टरों को ड्राइवरलेस बना दिया है. GNSS सिग्नल और iPad कमांड से चलने वाले ये ट्रैक्टर सटीकता से खेत में काम करते हैं और दूसरे खेत में नहीं जाते. इससे समय, डीजल की बचत होती है और सामान्य किसान भी इन्हें आसानी से चला सकते हैं.

Driverless Tractor Karnal newsDriverless Tractor Karnal news
कमलदीप
  • Karnal,
  • Jun 06, 2025,
  • Updated Jun 06, 2025, 2:42 PM IST

दुनियाभर में कई क्षेत्राें में तकनीक के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में भी इस परिवर्तन की बानगी देखने को मिल रही है, क्‍योंकि इसमें आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स (IoT) के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी क्रम में हरियाणा के करनाल जमालपुर गांव के एक युवा किसान ने AI के इस्‍तेमाल से तीन ट्रैक्‍टरों को हाईटेक बना दिया है. अब ये ट्रैक्‍टर बिना किसी ड्राइवर के चलते हैं. अमेरिका से लौटे युवा किसान बीर विर्क ने बताया कि उनका परिवार काफी बड़े हिस्‍से में खेती करता है और अब वह भी इस काम में आगे आए हैं. 

2-3 साल तक की टेस्टिंग

बीर विर्क ने बताया कि हाईटेक ट्रैक्‍टर चलाने की तकनीक विदेशों में पहले से मौजूद है. भारत में हमने दो-तीन साल लगाकर इसे लाने के लिए सारे लाइसेंस और परमिट हासिल किए हैं. अब यह सैटेलाइट सिग्नल से चल रहा है. उन्‍होंने दो-तीन साल इसकी टेस्टिंग की है और अब यह काफी कामयाब और फायदेमंद साबित हो रहा है. उन्‍हाेंने कहा कि किसानों को भी इसे इस्तेमाल करना चाहिए, यह बहुत ही फायदेमंद है.

बीर विर्क ने बताया कि अब तकनीक से लैस उनका ट्रैक्टर अपने आप खेतों में काम करता है. इसकी मोटर में जीएनएस सिग्नल के जरिए आईपैड से कमान दी जाती है कि ट्रैक्‍टर को किस पोज‍िशन पर चलना है. यह जीरो सेंटीमीटर एक्‍यूरेसी मैंटेन करता है. यह साफ बताता है कि ट्रैक्टर को मुड़ने के लिए कितनी जगह चाहिए और क्या खेतों की बाउंड्री की सेफ्टी है. 

यह भी पढ़ें - जीरो टिलेज तकनीक: कम खर्च में अधिक मुनाफा, अब किसान बनें आत्मनिर्भर

दूसरे के खेत में नहीं जाता ट्रैक्‍टर

उन्‍होंने बताया कि ड्राइवरलेस ट्रैक्टर किसी दूसरे के खेतों में भी नहीं जाता है. यह टर्निंग सिग्नल देता है और इससे समय और डीजल की काफी बचत होती है. साधारण किसान भी इसे चला सकते हैं, क्‍योंकि किसान को इसके मुड़ने की व्‍यवस्‍था को नहीं देखना है. सिर्फ ट्रैक्टर की रेस संभालना है.

युवा किसान ने बताया इसे हाईटेक बनाने के लिए एक किट आती है, जो 1 घंटे के अंदर इंस्टॉल हो जाती है. इसका पूरा सपोर्ट वॉट्सऐप और वीडियो कॉल के जरिए स्वीडन की कंपनी से मिलता है. वहां के टेक्निकल लोग और हमारी टीम इसे मिलकर इंस्‍टॉल करते हैं.

उत्‍तरांचल में भी खेती करते हैं बीर

बीर विर्क ने बताया कि उनका परिवार शुरू से ही खेती-बाड़ी करता है. वह पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गए थे और 10 साल वहां रहे. हालांकि, इस दौरान अक्‍सर भारत आते-जाते रहते थे. उन्‍होंने अमेरिका में देखा कि वहां पर खेती में काफी तकनीक इस्तेमाल की जाती है और खेती करना काफी आसान रहता है. एक आदमी अकेले हजारों एकड़ की खेती कर लेता है.

बीर ने कहा कि यही देखकर जब मैंने खेती की शुरुआत की तो पहले वह भी मैन्‍यूअली ट्रैक्टर चलाते थे, लेकिन अब वह तकनीक के जरिए ट्रैक्टर चलाकर खेती कर रहे हैं. उन्‍होंने बताया कि उनके पास 15 के करीब ट्रैक्टर हैं और वह 200 एकड़ खेत में खेती करते हैं. इसके अलावा उनके पास 150 एकड़ फार्म उत्तरांचल में है और वहां भी खेती करते हैं. 

MORE NEWS

Read more!