Zero Tillage: कृषि क्षेत्र में आधुनिकता और विज्ञान के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना अब समय की मांग बन चुकी है. जीरो टिलेज यानी बिना जुताई के खेती करना, एक ऐसी तकनीक है जिससे किसान न केवल अपनी मेहनत और समय बचा सकते हैं, बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं. यह तकनीक खासतौर पर धान की खेती में बहुत फायदेमंद साबित हो रही है.
जीरो टिलेज तकनीक में खेत की जुताई नहीं की जाती. इसके बजाय बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है. इस तकनीक से मिट्टी की नमी बनी रहती है, सिंचाई की जरूरत कम होती है और खरपतवार भी कम उगते हैं. इससे खेती पर होने वाला खर्च घटता है और फसल का उत्पादन बढ़ता है.
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प्रखंड के ई-किसान भवन में शनिवार को खरीफ महाअभियान के तहत एक प्रशिक्षण सह उत्पादन वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने भाग लिया और खेती की नई तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की.
कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक पुष्पा कुमारी ने किसानों को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के अधिक इस्तेमाल से खेतों की उपजाऊ शक्ति घट रही है. इसलिए किसानों को जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए. इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है.
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प्रशिक्षु बीएओ अंशु राज ने जानकारी दी कि सरकार किसानों को अनुदानित दरों पर बीज और कृषि यंत्र उपलब्ध करा रही है. उन्होंने बताया कि किसानों को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. साथ ही श्री विधि और जीरो टिलेज तकनीक से धान की सीधी बुआई करने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
तकनीकी सहायक पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि खेती से पहले मिट्टी की जांच जरूरी है. इससे यह पता चलता है कि खेत में किस तरह की खाद की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने बीज उपचार और सूक्ष्म सिंचाई योजना के लाभ भी बताए.
जीरो टिलेज जैसी तकनीकों को अपनाकर किसान कम खर्च में अधिक उत्पादन कर सकते हैं. इससे उन्हें बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं और वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं. ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को न केवल जानकारी देते हैं, बल्कि उन्हें नई तकनीकों से जोड़ने में भी मदद करते हैं.
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